मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

जरूरी ये था कि , रिश्ते को बचा जाते भाई

   जरूरी ये था  कि , रिश्ते को बचा जाते भाई !
   महज करना था ये कि, बहस  हार जाते भाई!

   बात मनवाने को क्या चींखना जरूरी था ?
   बड़ा भाई ही तो था, बस रूठ ही जाते भाई !

   ये तो अच्छा हुआ कि, खुद की नजर में गिरे थे,
   तसल्ली से जरा सोंचो कि,क्या बताते भाई  !

   जुबां पे आग या मिश्री रखो, निर्णय तुम्हारा,
   अब तो बालिग हो तुम्हे, क्या ही समझाते भाई?

   बहुत उलझा हुआ है लाभ व हानि का गणित,
   दिल के स्कूल से आते, तो बताते भाई  !

गुरुवार, 19 दिसंबर 2024

देश हमारे बाप का है, हम,ठोक के सीना कहते हैं





सहिष्णु हमको जग वाले, ऐसे ही न कहते हैं !
संग हमारे सांप व बिच्छू, मेरे ही घर रहते हैं !

पांच बार लाउडस्पीकर पर, गंदी चींखे वो मारे,
पूरे हिन्दुस्तान के वासी, बेबस से बस सहते हैं !

तीन बीबीयां तेरह बच्चे, हर घर एक कबीला है,
मासूमों के जेहन तक, जेहादी कीड़े बहते हैं !

सोचो इनकी सोच सैतालिस सी ही है,सर्तक रहो,
सनातनी भूमि पर,गिद्ध सी, नजरें गाड़े रहते हैं!

सौ हैँ नदियाँ, एक भी उर्दू अरबी इनके नाम नहीं,
देश हमारे बाप का है, हम,ठोक के सीना कहते हैं !

शनिवार, 7 दिसंबर 2024

पुराने कपड़े मैली याद के, मैं धो नहीं पाता !


पुराने कपड़े मैली याद के, मैं धो नहीं पाता !
दिल की जमीं पे इक सुकूँ भी, बो नहीं पाता!

जिंदा हूं जमाने में खड़ा, उस मुहाने पर  , 
जहां दुख तो पाता हूँ मगर,मैं रो नहीं पाता! 

लहजे में तेरे है नमक, गल्ती नहीं तेरी,
बस घाव हैं मेरे खुले , मैं सो नहीं पाता !

यादों का जंगल है,वफा के, पेड़ ही नहीं ,
जा के लौट हूं आता मगर ,मैं खो नहीं पाता !

मुझे मुस्कान पंसद है , तुम्हारी हो या हमारी , 
हमेशा मुस्कुरा के हम मिलें, क्यूँ हो नहीं पाता ?
---------------------------- तनु थदानी



रविवार, 3 नवंबर 2024

भरा ग्लेशियर ग़म का ,गले लगाते झर झर गलता है!

भरा ग्लेशियर ग़म का ,गले लगाते झर झर गलता है! 
हाल चाल ही तो पूछा था,मन क्यूं शाम सा ढलता है? 

मेरा समझौता तो मेरे, चाल - चलन से ऐसा है, 
मैं उसे छिपा के चलता हूँ, वो मुझे छिपा के चलता है! 

हंसते चेहरे पे आंसू दे, जख्मो पे मेरे नमक सी थी, 
वो जीवनसाथी नाम लिये,जो रही वही तो खलता है! 

जो खोजे परिभाषित सुख को,गढ़ के सुख की परिभाषायें, 
अंदर न उसके सुख पलता,न सुख से कभी वो पलता है! 

जब-जब जेब तलाशी निकले,लम्हे रुखे सूखे से, 
प्रेम किया तो प्रेम क्यूं मांगा, ऐसा प्रेम न फलता है ! 









गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

हो के भी नाराज मैं आखिर कर क्या लूंगा?

बात नहीं थी कुछ भी, मसला, खड़ा हो गया ! 
खून का रिश्ता इकदम चिकना, घडा़ हो गया! 

बेटा  बिना मशवरे ही सब निर्णय  लेता, 
खुश ही हो लूं  की अब तो वो; बड़ा हो गया! 

हो के भी नाराज मैं आखिर कर क्या लूंगा?
दर्द पिता का छलका, घाव, हरा हो गया! 

ढलते सूरज ने मुझको  औकात बताई, 
मुझसे मेरी छाया का कद, बड़ा हो गया! 
-------------------------- तनु थदानी

शनिवार, 19 अक्टूबर 2024

दुख की बात है ये तो


चश्मा काला पहन जो बोले, हरदम, रात है ये तो! 
पर पीड़ा से परे जो अंतस , पशु की जात है ये तो! 
 
साथ हैं खाते -पीते- चलते, रिश्तों की गठरी ले, 
जरा गिरे क्या, हंस देते हैं, सीधी घात है ये तो  ! 

वर्षों लड़ हिस्सा करवाया, खुश काहे तू होता, 
अलग हुए, दो हुई रसोई, तेरी मात है ये तो  ! 

समय सही है अपना भी तो,सभी ही अपने हैं जी, 
खुशी मनाऊं कैसे,समझो, दुख की बात है ये तो  ! 

तमाशा कौन करे,

दुःखी तो खुश  दिखे वो, इसलिए ही मुस्कुराता है! 
कहीं तुम जान न जाओ, सो तुमको भी हँसाता है! 

खिलौने छोड़ मेरे दिल से जो, खेला है तू, तब से, 
मेरे भीतर का बच्चा, तिलमिलाता, टूट जाता है! 

सूकूं तो नींद लंबी में ही है , जो मौत कहलाती
सभी दुख जागने में हैं, यही जीवन बताता है  ! 

यहाँ ये जान के साजिश में शामिल,खुद की छाया है, 
उसी के साथ में फिर भी, पूरा जीवन बिताता है! 

तमाशा कौन करे, घर न बिखरे, इसलिये तनु  , 
सलीके से सभी गम , मुस्कुराहट में छिपाता है  ! 










शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

सैफई वाले नाच को, संस्कृति बताया,


सैफई वाले नाच को, संस्कृति बताया, 
वोटों के लिए रामभक्त, मार गिराया  ! 

मसला नहीं था ये कि, वो पुल क्यूँ ढ़ह गया, 
ऐसा जो बना, वैसा, पैसा क्यूँ नहीं आया  ?? 

अफसर थे परेशान कि, बाकी का क्या लिखें, 
उन चार में था तीन तो, कागज पे बनाया  !

हम तो डकैत थे, यूँ ही चुनाव लड़ के फिर, 
डकैती को राजनीति में, व्यवहार कराया! 

ये ही है खूबसूरती,समाजवाद की, 
पूरे घर व रिश्तेदार को, चुनाव लड़वाया  ! 

----------------------  तनु थदानी

बुधवार, 21 अगस्त 2024

सुर खुद का न लगे, कहे गाना खराब है !


सुर खुद का न लगे, कहे गाना खराब है ! 
श्रोता ही न बेहतर, ये, बहाना खराब है  ! 

चालाकियाँ व हेरफेर,कर के फंसा स्वयं, 
अब बीच में भगवान को, लाना खराब है  ! 

इज्जत न मिली क्यों कि, सब को पता था, 
पैसे का उसके पास यूँ, आना खराब है  ! 

कर के गबन थी थोक की, दुकान खोल दी, 
 कितना किया कैसे ये,  बताना खराब है  ! 

उसने कहा कि सबको ,मिला के किया गबन, 
फिर थाना या फिर कोर्ट में, जाना खराब है  ! 

दे के उधारी जब वसूली, हो नहीं पायी , 
अब कह रहा हैं सबको, जमाना खराब है  ! 
---------------------- तनु थदानी





सोमवार, 12 अगस्त 2024

शातिर है आबादी बढ़ा, शरियत पे अड़ेगा!

शातिर है आबादी बढ़ा, शरियत पे अड़ेगा! 
गरं फंस गया तो मुख से, संविधान झड़ेगा! 

हिन्दू कहीं कोई पिट रहा ,वो मानता नहीं, 
बुद्धिजीवी है  इस बात पे ,कुतर्क करेगा! 

जब तक  अकारण ही , खुद नहीं पिटता,  
बुद्धिजीवी है, सो कुटने के ,बाद  डरेगा ! 

विश्व में बस एक ही, बदनाम कौम है, 
जो आश्रय देगा, उसी के हाथों मरेगा! 

जिसकी भी जमीं पे गया ,संस्कृति  खा गया, 
नीयत में बस जेहाद है, तो क्यों न लड़ेगा  ? 




सोमवार, 5 अगस्त 2024

दुख के सारे कारण भी तो, पैदा किये हम ही ने हैं


दुख के सारे कारण भी , पैदा किये हम ही ने हैं! 
रिश्तों के जेवर न सम्भाले ,कंकड़ पत्थर बीने हैं! 

मिले नहीं तो सब्र नहीं, मिल जाये तो कद्र नहीं, 
सीधे सीधे बोलूं तो हम, इंसा बड़े कमीने हैं  ! 

बिन मुहर्त ही पैदा होते, मरते बिना मुहुरत ही, 
पूरा जीवन मुहर्त पीछे ,भागे अकल से झीने हैं! 

रहना उसी को आता है, सहना जिसको हैआता , 
वरना जीवन क्या है, बस, सांसो के टुकड़े सीने हैं! 



बुधवार, 31 जुलाई 2024

ये उम्र का सिलबट्टा सबको, इक दिन चटनी कर जायेगा

ये उम्र का सिलबट्टा सबको, इक दिन चटनी कर जायेगा,
रूतबा व जाति रंग धरम,सब पिस के ढेर लगायेगा  ! 

हर बच्चा काफिर होता है, माँ को भगवान समझता है,
है सीधी सच्ची बात मगर वो, इसको व्यंग्य बतायेगा  ! 

मैं झूठ भी बोला करता हूँ, कभी पूछ के देखो हाल मेरा, 
सच बोल किसी को दुखी करूँ, ये मुझसे न हो पायेगा  !

सब कहते सबों से बेहतर हूँ, न जिद करता न रुठता हूँ, 
मालूम है सच ,जो  रूठुंगा, कोई भी नहीं मनायेगा  ! 

मतलब की टोपी पहन के जब,इज्जत के कपड़े भूला वो, 
नंगा क्या भला निचोड़ेगा,नंगा क्या भला नहायेगा  ? 

देता न किसी को पुण्य दगा, होता ही नहीं है पाप सगा, 
जो कर्म की है पूजा करता, क्या धर्म उसे ठग पायेगा! 
----------------------- तनु थदानी


सोमवार, 8 जुलाई 2024

ज्यादा करो जो बातें पदवी,पागल की पा जाओगे,

ज्यादा करो जो बातें पदवी,पागल की पा जाओगे, 
कम जो बातें  करोगे तो फिर, घमंडी कहलाओगे! 

केवल काम की बातें हो तो, पूरे हम मतलबी बने, 
सबके चेहरे पर है चेहरा, कभी समझ न पाओगे! 

जो सोचा कि सूकूं से बैठुंगा, घर जो है बना लिया, 
मगर चलाने घर को बंधु , इक यात्री बन जाओगे! 

खुशफहमी का आलम ये है, हस्ती मिटती नहीं हमारी, 
बोल बोल के गये सिमटते, कितनी चोटें खाओगे  ? 

सलाह सदा हारे की लेना , और तजुर्बा जीते का, 
पर दिमाग लेना खुद ही का, दुनिया में छा जाओगे! 
----------------------------  तनु थदानी


बुधवार, 3 जुलाई 2024

मिलते ही चार मुर्ख, बाबा पीर बन जाओ!

मिलते ही चार मुर्ख, बाबा पीर बन जाओ! 
दे झाड़ -फूंक- प्रवचन, अमीर बन जाओ! 

दुनियाँ को लूटना हो तो बन जाओ सिंकदर, 
दुनियाँ का हो जाना हो तो, कबीर बन जाओ! 

चलते रहो फिरते रहो, अस्तित्व बचा कर, 
ऐसा न हो कि तुम भी, इक भीड़ बन जाओ, 

रांझा बने तुम, सामने है मृग - तृष्णा, 
क्यों कह रहे हो उसे, कि हीर  बन जाओ!

पैसे कमाये नींद बेच, सुकून के बाजार, 
इससे तो है  बेहतर कि, फकीर बन जाओ! 
-------------------------------  तनु थदानी





रविवार, 30 जून 2024

सुर्ख गालों पे आंखें लाल, ऐसा कौन करता है?


सुर्ख गालों पे आंखें लाल, ऐसा कौन करता है? 
किसे मारने निकले? वही जो तुम पे मरता है ?? 

चलो हम मान लेते हैं, कहीं कुछ तो हुआ होगा, 
हमारा सब्र भी नवजात, टूटने से डरता है  ! 

तुम्हीं ने चाल ढ़ाल बदले मेरे, खुद के मुताबिक़, 
न रहा पहले सा,ये,अब तुम्ही से सुनना पड़ता है! 

बिछड़ने की पढ़ाई से ही, हम थे फेल हो मिले, 
जहां हम फेल हों, ऐसी पढ़ाई, कौन पढ़ता है? 

तेरी खामोश लड़ाई की ,अदा पे ही  फिदा हैं,
बताये बिन किसी मुद्दे को, आखिर कौन लड़ता है? 

तुम्हारे रुठने भर से, ये मुद्दा हल नहीं होता, 
तुम्हारे रुठने से इश्क मेरा, और बढ़ता है! 
---------------------------  तनु थदानी



बुधवार, 26 जून 2024

बात अगर व्यापार की हो,अक्ल को दोस्त बनाओ जी!

बात अगर व्यापार की हो,अक्ल को दोस्त बनाओ जी! 
रिश्तेदारी में लेकिन बस, दिल के संग ही जाओ जी! 

वसीयत हैसियत पूछने वाले, बहुतेरे मिल जायेंगे, 
मिलने पर तबियत जो पूछे, ऐसे दोस्त बनाओ जी!

घर में बरतन होंगे तो, टकरायेंगे ओं खनकेंगे, 
खुशी से हो जीवन जीना तो ,थोड़े गम भी खाओ जी! 

एक निराशा, एक हताशा, क्या तुम से बलशाली है? 
बाद सुबह के रात भी आती, रात को भी अपनाओ जी! 

राजनीति को  झगड़े -  दंगो, संग गुजारा करना है, 
तुम तो परिवारिक हो अपनी, जुबां पे मिश्री लाओ जी! 
------------------------------  तनु थदानी


रविवार, 23 जून 2024

गलती तुम्हारी है

थे  सत्य पे फिर भी डरे, गलती  तुम्हारी  है! 
फिर कह रहे हो क्या करें,गलती तुम्हारी  है! 

जनम गरीबी में हुआ, न गलती तुम्हारी , 
अगर गरीबी में मरे, गलती तुम्हारी है  ! 

जाति व वर्ण धर्म में , तुम ही  बस श्रेष्ठ हो , 
ये बोल के जो तुम लड़े,गलती  तुम्हारी है! 

वो हज गया था, सो वो बे- ईमान न रहा, 
जो माना ये खड़े खड़े,गलती तुम्हारी है  ! 

जब देश हित से परे, जाति के संग खड़े,
अब लालू जो चारा चरे, गलती  तुम्हारी है! 

सात पुश्त तेरे वोट से, खुशहाल कर गया, 
हाथों पे हाथ हो धरे, गलती  तुम्हारी  है! 

जाति का सुरमा डाल के, आंखें निकाल लीं, 
उल्लू हो तुम इतने बड़े,  गलती तुम्हारी है! 

अपने ही घर में, अल्पसंख्यक बनते जा रहे, 
अब भी तो मान लो अरे, गलती तुम्हारी है!
------------------------  तनु थदानी

सोमवार, 17 जून 2024

वो मेरे पक्ष में ,यूँ ही नहीं आया होगा!

वो मेरे पक्ष में  ,यूँ ही नहीं , आया होगा! 
उसका भी कोई काम, निकल आया होगा! 

दिखी बारात में छाया , पुराने वस्त्रों में, 
जरुर बेटी के ही, बाप का, साया होगा! 

बड़ा भाई तुम्हारे जश्न में, शामिल नहीं था, 
तुमने शायद न सलीके से, बुलाया होगा! 

जान जाने को थी,प्यार से अंजान था वो
नफे नुकसान में ही ,वक्त गंवाया होगा! 

मिठाई भी तुम्हे मीठी नहीं ,लगी, तो फिर, 
मुझे शक है कि ,अकेले में ही खाया होगा! 

भला परिवार में शामिल हुआ वापिस वो कैसे, 
बुरे से वक्त ने ही उसको, समझाया होगा! 

था चुप ,समझ में आ गया, शासन को कैसे , 
क्या उसके मौन ने ही ढ़ोल, बजाया होगा? 

की बेटा दुध से ,खुश्बू से नहा खूब खिले, 
वो बाप रोज पसीने से  , नहाया होगा  ! 

पढ़ाई कर हमें ही छोड़ , अब जाते हैं बेटे, 
शायद हमने ही उनको, गलत पढ़ाया होगा! 
------------------------  तनु थदानी




मंगलवार, 11 जून 2024

नश्वर चीजों के खातिर हम, पूरा ही जीवन हैं लड़ते !

नश्वर चीजों के खातिर हम, पूरा ही जीवन हैं लड़ते  !
मटके में छेद है जान के भी, अन्जान बने पानी भरते! 
 
अब पैसे से आराम नहीं, इक खौफ का रुतबा आता है, 
बेटा पढ़ लिख अब कमा रहा, सो बाबू जी भी हैं डरते! 

इज्जत इंसान की न होती, जरूरत की इज्जत होती है
पेंशन न हो तो बाबूजी, मन मार के रोज मरा करते  ! 

हम अनपढ़ हैं, हमरे कारण ही, हिंदी भाषा बची हुई, 
वरना तुम अंग्रेजी पढ़ कर, तो राम- राम भी ना करते! 

ये गज़ब हमारे देश का भी, है  मौसम का अंदाज तनु, 
लू से तो न मरते जितने, पैसों की गर्मी से मरते!
-------------------------------  तनु थदानी

शनिवार, 8 जून 2024

अगड़ी पिछड़ी ऊंच नीच, क्यूँ जाति में बंट जाना है?

अगड़ी पिछड़ी ऊंच नीच, क्यूँ जाति में बंट जाना है? 
हिंदू हो सब हिन्दू बोलो, क्या ये भी समझाना है?? 

आसमान में उड़ने वालों , जमीं न भूलो बचे रहोगे, 
 गोधूलि के जाते जाते,    आखिर घर तो आना है  ! 

तेरे घर न आता सो तुम ,उसके घर न जाते हो, 
रिश्ता न रखने का कोई, ये भी खाक बहाना है? 

बे सुध सोने वालों को ,उनके हित में आवाजें दो, 
सोने का नाटक जो करते, उनको नहीं जगाना है  ! 
---------------------------------  तनु थदानी

शुक्रवार, 7 जून 2024

हम ही लाठी, हम कपास, खुद ही को कैसे धुनते ?

हम ही लाठी, हम कपास, खुद ही को कैसे धुनते ? 
ऊपर से ठंडे रहते , जीवन जीते जलते भुनते  ! 

गले मिला तो रीढ़ नहीं ,आंख कहीं तो नज़र कहीं, 
ऐसे रिश्तेदारों में फंस, हम भी तो पूरे सुन्न थे  ! 

ज्यादा पढ़े लिखे या मूरख , ज्यादा फर्क नहीं होता, 
दोनों इक जैसे हैं होते , दोनों किसी की न सुनते! 

जग जाहिर था चोर है वो,टोपी पहन के खड़ा हुआ, 
बात थी देश चलाने की तो, कैसे भला उसे चुनते ? 
-------------------------------  तनु थदानी

बुधवार, 5 जून 2024

सब जीरो हो जाना है

  मत कर तू अपनों से अनबन ,सब जीरो हो जाना      है! 
  जितना भी चमको तुम बन ठन,सब जीरो हो जाना    है! 

  गले में सोना,हाथ में सोना,सब ऊंगली में सोना          सोना, 
  अंत समय में सब कुछ छन छन,सब जीरो हो             जाना है! 

  मांसपेशियां खूब फुलाओ, कमजोरों को खूब            दबाओ, 
  जैसे छूटा सांस का दामन, सब जीरो हो जाना है! 

  मार के खाया,छीन के खाया,लूट के खाया,बीन के    खाया, 
  पूरा जीवन हाथी सा बन, सब जीरो हो जाना है  ! 

  शौहरत आयी,घमंड आ गया,पैसे पा के रोब छा        गया, 
  मौत का तुझ पे,ज्यों आया मन,सब जीरो हो जाना     है  ! 

  दौड़ लगाई ,जीते भी बन,नंबर वन, पर यहाँ              अंततः, 
  सब कुछ बस यूँ आनन फानन,सब जीरो हो जाना     है! 

  क्रीम लगाओ, खूब छिपाओ, झुर्री और लकीरों        को, 
  उम्र बढ़ेगी, घटेगा जीवन,सब जीरो हो जाना है  ! 

  पूरा जीवन प्लाट खरीदे, फुट में, गज में, बीघे बीघे, 
  चिता पे लेटेगा छे फुट बन, सब जीरो हो जाना है  ! 
   --------------------------------------  तनु थदानी

रविवार, 2 जून 2024

इक अपनों की लिस्ट बनाओ !

इक अपनों की लिस्ट बनाओ ! 
उनमें अपना ढ़ूंढ़ बताओ  ! 

एक भी अपना मिल जाये तो, 
ईश्वर का आभार जताओ  ! 

दिल से जो हैं कायम होते , 
उन रिश्तों के ही बन जाओ  ! 

जरुरत से जो बनते रिश्ते, 
हरगिज़ उनको मत अपनाओ  ! 

दुनियाँ में हम सब राही हैं, 
चलते, आते जाते जाओ  ! 

बुद्धिमान तो व्यस्त मिलेंगे, 
बस नादां इक दोस्त बनाओ! 
-----------  तनु थदानी

सोमवार, 27 मई 2024

जब ग्लेशियर आवेग का, बिस्तर पे पिघलता!

जब ग्लेशियर आवेग का, बिस्तर पे पिघलता! 
सिरहाने दुबका प्रेम तो बस, हाथ है मलता  ! 

बेहद उथल पुथल है, इक पागल सा शोर है, 
आवेग और खुमार में, क्या प्यार है पलता  ? 

ना  घटता न बढ़ता ,यही है सच का तक़ाज़ा  ! 
रबड़ सा झूठ है होता, सदा आकार बदलता  ! 

हमारे पास शिद्दत के सिवा कुछ भी नहीं यारों, 
सिवाय हौसले के संग मेरे, कोई न चलता  ! 

वैसे तो तुम भी आदमी, मेरी तरह हो दोस्त, 
व्यवहार में है ओहदे का , संग बस खलता  ! 
----------------------- तनु थदानी



गुरुवार, 23 मई 2024

रट्टा मार के हिल हिल कर ये, कैसे कागज़ पढ़ता है!

रट्टा मार के हिल हिल कर ये, कैसे कागज़ पढ़ता है! 
हूर मिलेगी, बोल के, खुद पे, बम लपेट के मरता है! 


खुदा मिलेगा पढ़ नमाज,अजी ये सब फर्जी बातें हैं, 
ओट में सजदे ओं अजान के, काले धंधे करता है! 


खुद की नज़रें पाक नहीं, बुर्के में औरत बंद किया, 
अपनी गंदी नीयत पर फिर, नाम खुदा का धरता है! 

पीर फ़कीर मजार ओं फिरके,सब जेहाद के प्यादे हैं, 
सब उसके जैसे हो जायें, इसी लिये वो लड़ता है! 

-------------------------------  तनु थदानी

गुरुवार, 16 मई 2024

बाहों में नशे की, झुलाया जा रहा उसे !

बाहों में नशे की, झुलाया जा रहा उसे  ! 
दिल्ली को बता दो, सुलाया जा रहा उसे! 

मकान को मालूम नहीं , बिक चुका है वो, 
वो खुश है,फिर से,सजाया जा रहा उसे! 

ऐसा नहीं कि योग्यता है, उसमें कार्य की, 
मुकाबला ही शून्य, तो लाया जा रहा उसे! 

मुफत के जोश में, नज़र पिंजड़े नहीं आते,
चूहों में जश्न है, खिलाया जा रहा उसे !


शनिवार, 11 मई 2024

मुंह में जो जुबां है वो, तलवार नहीं है!

मुंह में जो  जुबां है वो, तलवार नहीं है! 
जो नाप तौल के किया,वो प्यार नहीं है  ! 

बेशक सोने चांदी से ,जीवन को सजा ले, 
गर माँ नहीं जीवन में तो, श्रंगार नहीं है! 

नेता हो या फकीर या,अमीर क्यूँ ना हो, 
कोई नहीं जो माँ का, कर्जदार नहीं है! 

अपने ही हैं , कोई भी, शातिर नहीं लगता, 
कोई तो मान लो कि हम, बीमार नहीं हैं!  

बस चापलूसी न थी, सो ईनाम न मिला, 
बस कह दिया कविताएँ धारदार नहीं है! 
----------------------  तनु थदानी

रविवार, 28 अप्रैल 2024

मेरे लहजे में तू है, कैसे मैं छिपाऊँगा?

मेरे लहजे में तू है, कैसे मैं छिपाऊँगा? 
तेरे बगैर बता ,कैसे मैं रह पाऊंगा  ? 

कभी आंसू के बहाने, मैं तेरी आंखों में था  , 
अभी बन के काजल,आंखों को सजाऊंगा! 

तुम्हारी धड़कनों में, मैं बसा हूँ स्वर बन के, 
तुम अगर छोड़ दोगी, तो मैं कहाँ जाऊंगा? 

महज़ कतरे सा मुझे, सांस के कतरे में रखो,
मैं तुझमें आऊंगा ,जाऊंगा, मुस्कुराऊँगा  ! 

------------------------------  तनु थदानी

शनिवार, 27 अप्रैल 2024

जो तुम्हे रुठने पे हंस हंस के मनायेगा !

जो तुम्हे रुठने पे हंस हंस के मनायेगा  ! 
वो बिना इत्र ही माहौल महका जायेगा  ! 

हमें खुशियाँ नहीं,सुकून की दरकार है जी, 
पर ये सच बताओ, कौन सुनना चाहेगा? 

जो तुमने मान या अपमान, दिया लोगों को, 
तुम्हारे पास ही वो, लौट लौट आयेगा  ! 

दुखों में सुख भी होगा जज्ब,खोजो तो सही,
मगर इस बात को, कोई नहीं बतायेगा  ! 

मुश्किल से मिले जो, वो होती इज़्ज़त है, 
आसानी से तो धोखा ही, मिल पायेगा  ! 
--------------------------   तनु थदानी


शनिवार, 20 अप्रैल 2024

बुद्धि में किये छेद तो, सुख कैसे भरोगे?

बुद्धि में किये छेद तो, सुख कैसे भरोगे? 
सम्मान न दे ,मान को ,कैसे भला लोगे? 

धोखे सा वफादारी में, सानी नहीं कोई, 
वो लौट के आयेगा, जिसको भी तुम दोगे! 

विरोध करोगे कोई ,दिक्कत नहीं मुझको, 
परेशानी होगी तब, जो तुम तारीफ करोगे! 

अमीर न हो न सही, जमीर हो जरूर, 
दूजे से  गरं डरते नहीं,खुद से तो डरोगे! 

दिल की सुनो, दिल में रहो,मैं दिल से कह रहा, 
काबू में जुबां न हो तो, किस किस से लड़ोगे?
------------------------ तनु थदानी




रविवार, 14 अप्रैल 2024

कर लो नाटक

सरकारें बनती थी, गठबंधन से, बात पुरानी है, 
अब विपक्ष गठबंधन करता, ये भी अजब कहानी है! 

राम को झूठ बताया , अब वो राम राम चिल्ला‌ते हैं, 
कर लो नाटक, देख रही ये, जनता बड़ी सयानी है! 

नस्ल गधे की, हरगिज घोड़ा बना  नहीं सकता कोई, 
उस पे जिद कि चमचों से ही, टूटी नाव चलानी है! 

देख चौकन्ना चौकिदार को, चोरों में खलबली मची, 
चोर हो रहे इकजुट, चाभी घर की जो हथियानी है! 

---------------------------------  तनु थदानी

रविवार, 7 अप्रैल 2024

बिक गया

विज्ञापनों के छल से, खरीददार बिक गया  ! 
इतना था समझदार कि, हर बार बिक गया  ! 

मैं यहां बाजार में ,बैठा था बिकने को , 
मैं तो नहीं बिका, मेरा आधार बिक गया! 

ले जा रहा था अपने हक़ में, लड़ने को जिसे , 
रस्ते में चलते चलते, मेरा यार बिक गया ! 

तुमको नहीं पता, दुनियाँ की तरक्की का, 
खबर भी न लगती, कि समाचार बिक गया! 

ओढ़ के अपनों में जब भी, मैं गया चेहरा, 
आराम से मेरा तो, नकली प्यार बिक गया! 

जब झूठ के था संग तो, खुशहाल बहुत था, 
जो सच के गया साथ तो, घर बार बिक गया! 

सपनों की चौहद्दी में है, परिवार मेरा ही  , 
खुलते ही नींद, स्वप्न वाला, प्यार बिक गया  ! 

बेहतर वो शराबी ही है, सच बोलता तो है, 
देखा नमाजियों का जो, किरदार बिक गया! 

नेता बिके, वोटर बिके, जमीन ,जल, वर बिके,
जीवन का सारा अर्थ, सारा सार बिक गया  ! 

मैं दूध ओं चाकू लिये , बैठा था सड़क पे, 
महंगे में मेरा चाकू , धारदार  बिक गया  ! 

------------------------   तनु थदानी

सोमवार, 18 मार्च 2024

बस तन्हाई बोल रही है !

मैं भी चुप हूँ , चुप है वो भी, बस तन्हाई बोल रही है ! 
थोड़ी शर्म , झिझक थोड़ी सी, बंधन सारे खोल रही है !

जीवन भर का लेखा जोखा,एक स्वांग सा उम्र का धोखा,
बस के मेरी धड़कन में वो ,मुझमें खुशियाँ घोल रही है ! 

आह से ले कर अहा के रस्ते, साथ रही वो रोते हंसते, 
मेरी दोनों आंखों में, झिलमिल तारों सी डोल रही है ! 

मेरे घर आंगन माँ बापू ,संग ही गुथ गई इक माला सी, 
मेरी जीवन संगी की तो, हर बातें अनमोल रही है! 
-------------------------------------  तनु थदानी









गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

एक हो अहसास

आते ही तेरे खुश्बू से,भर गया है मन  ! 
धूप ले के सिलवटें, आ गयी आंगन  ! 

तुम तो मेरे पास हो, आवाज की तरह, 
मैं भी  संग हूँ  तुम्हारे, बन तेरा यौवन ! 

इस जमाने की अदाओं, ने मुझे लूटा, 
बस रुहानी प्यार से ही, भर मेरा दामन! 

एक तू और एक मैं, बस हो यही दुनिया, 
एक हो अहसास, न हो, दरमियाँ ये तन! 

----------------------------  तनु थदानी




गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

ये कैसा हिंद है

इक सिंध था जो सिंधियों का, इक जहान था  ! 
उस सिंध में दादा जी का भी, इक मकान था  ! 

हमारी जमीन, संस्कृति, मुफत में बांट दी  , 
नेहरू ने सिंधु धार की, परवान काट दी  ! 

अब छुट्टी में, बच्चे कहो, किस गाँव जायेंगे  ? 
अब मिल के कब बैठेंगे, कब खुशियाँ मनायेंगे  ?? 

बच्चों को अब हम सिंधियत पर, क्या बतायेंगे  ? 
गांधी ने दर - बदर किया, क्या ये सुनायेगे  ?? 

पंजाब ओं बंगाल भी, यहाँ वहाँ  गया, 
जो सिंध झूलेलाल का था, वो कहाँ गया  ? 

हम शेर , मगर, राजनीति की भेंट चढ़ गये  , 
सब लाडे लोरियां, वतन के नाम कर गये ं ! 

ख्वाहिश हेमू कलाणी की, बेकार हो गई, 
दाहर सेन वाले सिंध की, जमीन खो गई  ! 

जब बंट रहे थे सब, मिटाये जा रहे थे हम, 
बस राष्ट्र गान में बचे, इस बात का है ग़म  ! 

सर्वप्रथम सभ्यता की, इक गवाह है सिंधु  , 
भारत के सीने रिस रही, इक आह है सिंधु  ! 

सिंधु के बिना गंगा जो, परिपूर्ण नहीं है  , 
तो सिंध के बिना ,ये हिंद पूर्ण नहीं है  ! 

बच्चा जो गुम है भीड़ में, वो मेरा सिंध है, 
न सिंधु, सिंध की जमीं, ये कैसा  हिंद है  ?? 
------------------------  तनु थदानी


रविवार, 4 फ़रवरी 2024

गरज है खुद की, वरना,प्रार्थनायें, कौन करता है

गरज है खुद की, वरना,प्रार्थनायें, कौन करता है  ? 
भला दूजे के दुख में,अपनी आंखें, कौन भरता है  ? 

किसी ने एक बीघे के लिए, भाई गंवा दिया  , 
ऐसी क्या है मजबूरी, जो ये सब , करना पड़ता है! 

तेरे पद तक, तेरे आगे ओं पीछे, अर्दली होंगे  , 
तेरे पद छोड़ते ही, देखना कि, कौन रहता है  ! 

खलल खामोशियों में क्यूं न हो, जब ख्वाहिशें खनके, 
 हो ग़र ख्वाहिशें ज्यादा, तो मानव, रोज मरता है  ! 

हमारे सब मुखौटे पारदर्शी, हो गयें हैं अब  , 
बाहर हो या हो घर, अब संभल के, रहना पड़ता है! 
------------------------------  तनु थदानी


हमेशा साथ होते हैं, मगर अक्सर नहीं मिलते !

हमेशा साथ होते हैं, मगर अक्सर नहीं मिलते  ! 
लपक के हाथ मिलाते, मगर खुल कर नहीं मिलते! 

वो मजदूर जो कि दूसरों के, घर बनाते हैं, 
उन्ही के घर पे सलामत, कभी छप्पर नहीं मिलते! 

बड़ी खाई है सन्नाटे की, गिरता जा रहा हूँ मैं, 
हमारे शहर में परिवार वाले, घर नहीं मिलते  ! 

तुम्हीं से चोट हूँ खाता, बिखर के टूट हूँ  जाता, 
तुम्हारे हाथ में लेकिन कभी, पत्थर नहीं मिलते  ! 

किसी की मुस्कुराहट में, कोई छल हो भी सकता है, 
मैं इसको जान न पाता कभी, तुम ग़र नहीं मिलते  ! 
-------------------------------  तनु थदानी

कीचड़ से नाराज न हो

आते धोखे उभर के जब जब, अपनेपन को छिलते हैं! 
दिल न मिलता,रस्म की खातिर,हाथ ही केवल मिलते हैं!

अनाथ आश्रम भरे पड़े हैं, दीन गरीब के बच्चों से, 
बड़े घरों के मम्मी पापा, वृद्ध आश्रम में मिलते हैं  ! 

छोटी हो या बड़ी इमारत, यही कहानी सबकी है, 
निश्चित तौर पे इक न इक दिन,सबसे पाये हिलते हैं  ! 

अनपढ़ श्रम बेच के खाता, पढ़े लिखों की शर्म बिकी, 
अब भी नहीं है बिगड़ा कुछ चल, आदर्शों को सिलते हैं! 

खाली जेब ही होती भारी, दुनियाँ में समझाया है, 
कीचड़ से नाराज न हो, कीचड़ में कमल भी खिलते हैं! 
---------------------------------  तनु थदानी


शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

बड़ा जालिम जमाना है

किसी की मौत पे बंदा बड़ा,मासूम होता है ! 
सब रो भी रहे ; हैं कि नहीं, फिर वो रोता है! 

कोई हमदर्द बन के छल गया, किस्सा पुराना है, 
वो छलिया आजकल हमदर्द बन के, साथ सोता है! 

जो मुझको छोड़ के जाना है तो जाओ, मगर सुन लो, 
किसी के भी बिछड़ने से यहाँ, कोई न रोता है  ! 

किसी ने शक्ल देखी, कह दिया कि खूबसूरत हो, 
भला चरित्र जैसी शै को, आखिर कौन ढ़ोता है  ! 

उसी ने पीठ थपथपाई, फिर आंतें निकाल ली ं‌, 
बड़ा जालिम जमाना है, यहाँ ऐसा ही होता है  ! 
-------------------------------   तनु थदानी

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

माँ वो होती है

पचासो बार माथा चूमती है, माँ वो होती है! 
खिलाने खाना दिन भर घूमती है, माँ वो होती है! 

कभी ताबीज लाती है, टीका काला लगाती है, 
जो बच्चा हंस पड़े तो हंस दे, रोये तो रोती है! 

कि जब तक जागता बच्चा, सीने से लगा जागे, 
बच्चा सो भी जाये माँ तो, आंखें खोल सोती है! 

यही है प्रेम की पराकाष्ठा, गहराई प्रेम की, 
किसी मूरत को काया दे के अपनी, काया खोती है! 
----------------------------------  तनु थदानी

तेरा पता मिले, आ के वहां खो जाऊंगा

तेरा पता मिले, आ के वहां खो जाऊंगा  ! 
तू मिले न मिले, मैं तेरा हो जाऊंगा  ! 

तेरे रूतबे, तेरे महलों से, सरोकार नहीं, 
आंख भर देख लूं तुझको, फिर सो जाऊंगा  ! 

हो कोई साथ मेरे, पर जेहन में तू ही बस, 
मैं खुद का जिक्र, तेरे सीने में, बो जाऊंगा  ! 

तेरी यादों की सरहदों का, कोई अंत नहीं, 
पूरी तसल्ली से भटकूंगा, गुम हो जाऊंगा! 
------------------------------   तनु थदानी


हैरान हूँ

मैं निखर जाता जो मुझमें, मेरा मैं ढ़हता कभी! 
जो निखरता तो शिकायत, भी नहीं करता कभी! 

पहले घंटों था बिताता, बातें मनवाने को ही, 
अब बहस करने को मेरा, मन नहीं करता कभी! 

लोग मतलबों से ही, मिलते गये, हटते गये, 
मेरे मतलबों से मतलब, उनको न रहता कभी ! 

मौन से तब भी न थीं, खुशियों की रिश्तेदारियाँ, 
हैरान हूँ, खुशियों में भी, मौन है बहता कभी  ! 
-------------------------  तनु थदानी

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

आओ कोशिश करते हैं

बचपन सा मीठा हो जाना, आओ कोशिश करते हैं! 
सचमुच में अच्छा हो जाना, आओ कोशिश करते हैं! 

खूब कमाया, दुनियाँ घूमी, लेकिन ये इक टीस रही, 
संग बैठ परिवार के खाना , आओ कोशिश करते हैं! 

ग़र खुश रहना सदा तुम्हे तो, अपने पिता के चेहरे पर, 
हंसी का इक कारण बन जाना, आओ कोशिश करते हैं! 

सोना जगना पीना खाना , पशु भी करते यही सभी, 
जीवन का इक लक्ष्य बनाना, आओ कोशिश करते हैं! 
------------------------------------  तनु थदानी

शनिवार, 27 जनवरी 2024

ऐसी भी क्या नाराजगी

ऐसी भी क्या नाराजगी, छोड़ दिया नाराज भी होना! 
मुस्काओ फिर मुस्कायेगा,अपने घर का कोना कोना! 

एक जिंदगी,एक यात्रा, एक ही साथी, जो कि तुम हो, 
लड़ो या रुठो,सब वाजिब है,शर्त मगर है प्यार न खोना! 

पूरी दुनिया घूम के जाना, मेरी दुनिया बस तुम तक है, 
तेरे संग ही जीवन लगता,बाकी पल तो,सांस का ढ़ोना! 

प्यार है तुमसे, इसे जताना, नहीं जरूरी रोज रोज ही, 
जब मैं बोलूं, मैं हूँ न,तो,तुम भी कहना, तुम भी हो ना! 

-------------------------------------  तनु थदानी