सोमवार, 18 मार्च 2024

बस तन्हाई बोल रही है !

मैं भी चुप हूँ , चुप है वो भी, बस तन्हाई बोल रही है ! 
थोड़ी शर्म , झिझक थोड़ी सी, बंधन सारे खोल रही है !

जीवन भर का लेखा जोखा,एक स्वांग सा उम्र का धोखा,
बस के मेरी धड़कन में वो ,मुझमें खुशियाँ घोल रही है ! 

आह से ले कर अहा के रस्ते, साथ रही वो रोते हंसते, 
मेरी दोनों आंखों में, झिलमिल तारों सी डोल रही है ! 

मेरे घर आंगन माँ बापू ,संग ही गुथ गई इक माला सी, 
मेरी जीवन संगी की तो, हर बातें अनमोल रही है! 
-------------------------------------  तनु थदानी