गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

tanu thadani. तनु थदानी चाहे मैं हिन्दू मुस्लिम तुम

तुम इत्र लगाओ हम कुमकुम  !
इक  जैसे ही तो हैं हम - तुम  !

हम  रोते  भी  तो इक  सा हैं ,
चाहे  मैं  हिन्दू  मुस्लिम  तुम  !

हंसते  हैं  हंसी भी इक जैसी ,
मरते   हैं  तो  हो  जाते  गुम  !

बुद्धु  हैं  तभी   तो शासक  ने,
माना  हमको बस एक हुजुम !

जब शक्ल  हमारी  इंसा  सी ,
आदत से क्यूँ  कुत्ते की दुम  !





मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

tanu thadani हम इतने तन्हा बैठे हैं तनु थदानी


मत पूछ क्यूँ उकड़ू लेटे हैं !
दीवाल ने  कमरे  फेंटे  हैं !

ग़ज़लें मेरी मेरे दुःख का ,
पूरा  संसार  समेटे  है !

उकताई  यूं  अब  तन्हाई,
खामोशी  लिये  लपेटे  है !

हर मिनट की साँसे गिनते हैं ,
हम  इतने  तन्हा  बैठे  हैं  !

मेरे घर बीच दीवाल  उठी ,
क्यूँ  कि  मेरे  दो  बेटे  हैं !

शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

tanu thadani माँ ने अब तक पूछा ही नहीं तनु थदानी


माँ ने अब तक पूछा ही नहीं
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दुःख से जब मैं घिर जाता हूँ , ना रोता ना चिल्लाता हूँ !
चुपचाप  मैं  माँ के  कमरे में , जा माँ को खूब हँसाता हूँ !

माँ हँसती भी  है , कहती भी है , साथ वो हर पल है मेरे,
सब जान  ये माँ  कैसे लेती , मै कभी समझ न पाता हूँ !

इक जादू ही तो है , सर पे , जब हाथ मेरी माँ रखती है ,
दुःख  छू मंतर हो जाते  हैं , इक  बच्चे सा बन जाता हूँ !

मेरी खुशियों को ,सपनों को ,वो अपना लक्ष्य बना लेती,
माँ  मेरी  मुझे  बताती  है , मैं खुद का भाग्य विधाता हूँ !

बीबी - बच्चे सब यार -दोस्त, पूछा करतें हैं घुमा-फिरा,
माँ ने अब तक पूछा ही नहीं ,मैं कितना रोज कमाता हूँ !

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

tanu thadani ये ही जीवन है तनु थदानी


किसी जलसे में मिलना फिर बिछड़ना , ये ही जीवन है !
किसी  के  दिल  के  कोने  में  ठहरना , ये ही जीवन है !

मुझे  मालूम  है  गढ्ढे   मिलेंगे  ,  राह   में   अक्सर  ,
मुझे  है  प्यार  से  गढ्ढों को  भरना , ये ही जीवन  है  !

बने  तो  वृक्ष  फूलों  का , सभी  को  छाँव  भी  तो दें  ,
महकना  अंततः  फूलों  सा  झड़ना , ये  ही  जीवन है !

हाँ ! मेरी  माँ  ने  मेरे  नाम  की , तस्वीर   रच  डाली ,
अब  मेरा  काम  उनमें  रंग  भरना , ये  ही  जीवन  है !

जिन्होंने  गोद  में हमको  खिलाया , वो हैं अब  बेबस,
उन्हें  बच्चों  के  भाँति  प्यार  करना , ये ही  जीवन है !