विज्ञापनों के छल से, खरीददार बिक गया !
इतना था समझदार कि, हर बार बिक गया !
मैं यहां बाजार में ,बैठा था बिकने को , मैं तो नहीं बिका, मेरा आधार बिक गया!
ले जा रहा था अपने हक़ में, लड़ने को जिसे ,
रस्ते में चलते चलते, मेरा यार बिक गया !
तुमको नहीं पता, दुनियाँ की तरक्की का,
खबर भी न लगती, कि समाचार बिक गया!
ओढ़ के अपनों में जब भी, मैं गया चेहरा,
आराम से मेरा तो, नकली प्यार बिक गया!
जब झूठ के था संग तो, खुशहाल बहुत था,
जो सच के गया साथ तो, घर बार बिक गया!
सपनों की चौहद्दी में है, परिवार मेरा ही ,
खुलते ही नींद, स्वप्न वाला, प्यार बिक गया !
बेहतर वो शराबी ही है, सच बोलता तो है,
देखा नमाजियों का जो, किरदार बिक गया!
नेता बिके, वोटर बिके, जमीन ,जल, वर बिके,
जीवन का सारा अर्थ, सारा सार बिक गया !
मैं दूध ओं चाकू लिये , बैठा था सड़क पे,
महंगे में मेरा चाकू , धारदार बिक गया !
------------------------ तनु थदानी