नीयत जब मेरी बहनों से , मुझसे बिन पूछे लड़ आयी !
मैंने कितना भी स्वांग रचा,पर आँखें फिर भी भर आयीं!
मन चुप था , धन जो चंचल था , बहनें मेरी उनसे खेलीं ,
मन था ही नहीं,इस बात की वो,हर इक से चर्चा कर आयीं!
वो रंग बिरंगी तितली थी , जो संग थी खेली बचपन में ,
जीने के नाटक में बिछड़ी , वो फिर से मेरे घर आयी !
सब दिया मगर वो हंसी नहीं,वो जीत हार में फंसी रही,
मैं जीत हार से मुक्त हुआ , फिर नींद मुझे बेहतर आयी !
------- ---- तनु थदानी
मैंने कितना भी स्वांग रचा,पर आँखें फिर भी भर आयीं!
मन चुप था , धन जो चंचल था , बहनें मेरी उनसे खेलीं ,
मन था ही नहीं,इस बात की वो,हर इक से चर्चा कर आयीं!
वो रंग बिरंगी तितली थी , जो संग थी खेली बचपन में ,
जीने के नाटक में बिछड़ी , वो फिर से मेरे घर आयी !
सब दिया मगर वो हंसी नहीं,वो जीत हार में फंसी रही,
मैं जीत हार से मुक्त हुआ , फिर नींद मुझे बेहतर आयी !
------- ---- तनु थदानी