रविवार, 15 फ़रवरी 2015

tanu thadani तनु थदानी फिर नींद मुझे बेहतर आयी

नीयत जब मेरी बहनों से , मुझसे बिन पूछे लड़ आयी !
मैंने कितना भी स्वांग रचा,पर आँखें फिर भी भर आयीं!

मन चुप था , धन जो चंचल था , बहनें मेरी उनसे खेलीं ,
मन था ही नहीं,इस बात की वो,हर इक से चर्चा कर आयीं!

वो रंग बिरंगी तितली थी , जो संग थी खेली बचपन में ,
जीने के नाटक में बिछड़ी , वो फिर से मेरे घर आयी !

सब दिया मगर वो हंसी नहीं,वो जीत हार में फंसी रही,
मैं जीत हार से मुक्त हुआ , फिर नींद मुझे बेहतर आयी !
                                    ------- ----  तनु थदानी