गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

वो मेरे पक्ष में ,यूँ ही नहीं आया होगा!

वो मेरे पक्ष में  ,यूँ ही नहीं , आया होगा! 
उसका भी कोई काम, निकल आया होगा! 

दिखी बारात में छाया , पुराने वस्त्रों में, 
जरुर बेटी के ही, बाप का, साया होगा! 

बड़ा भाई तुम्हारे जश्न में, शामिल नहीं था, 
तुमने शायद न सलीके से, बुलाया होगा! 

जान जाने को थी पर, प्यार से अंजान था वो
नफे नुकसान में ही ,वक्त गंवाया होगा! 

मिठाई भी तुम्हे मीठी नहीं ,लगी, तो फिर, 
मुझे शक है कि ,अकेले में ही खाया होगा! 

भला परिवार में शामिल हुआ वापिस वो कैसे, 
बुरे से वक्त ने ही उसको, समझाया होगा! 

चुप था, तो समझ में आ गया, शासन को कैसे , 
क्या उसके मौन ने ही ढ़ोल, बजाया होगा? 

की बेटा दुध से ,खुश्बू से नहा खूब खिले, 
वो बाप रोज पसीने से  , नहाया होगा  ! 

पढ़ाई कर हमें ही छोड़ , अब जाते हैं बेटे, 
शायद हमने ही उनको, गलत पढ़ाया होगा! 




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