थे सत्य पे फिर भी डरे, गलती तुम्हारी है!
फिर कह रहे हो क्या करें,गलती तुम्हारी है!
जनम गरीबी में हुआ, न गलती तुम्हारी ,
अगर गरीबी में मरे, गलती तुम्हारी है !
जाति व वर्ण धर्म में , तुम ही बस श्रेष्ठ हो ,
ये बोल के जो तुम लड़े,गलती तुम्हारी है!
वो हज गया था, सो वो बे- ईमान न रहा,
जो माना ये खड़े खड़े,गलती तुम्हारी है !
जब देश हित से परे, जाति के संग खड़े,
अब लालू जो चारा चरे, गलती तुम्हारी है!
सात पुश्त तेरे वोट से, खुशहाल कर गया,
हाथों पे हाथ हो धरे, गलती तुम्हारी है!
जाति का सुरमा डाल के, आंखें निकाल लीं,
उल्लू हो तुम इतने बड़े, गलती तुम्हारी है!
अपने ही घर में, अल्पसंख्यक बनते जा रहे,
अब भी तो मान लो अरे, गलती तुम्हारी है!
------------------------ तनु थदानी
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