सोमवार, 30 जून 2025

हमेशा साथ होते हैं, मगर अक्सर नहीं मिलते !

हमेशा साथ होते हैं, मगर अक्सर नहीं मिलते  ! 
लपक के हाथ मिलाते, मगर खुल कर नहीं मिलते! 

वो मजदूर जो कि दूसरों के, घर बनाते हैं, 
उन्ही के घर पे सलामत, कभी छप्पर नहीं मिलते! 

बड़ी खाई है सन्नाटे की, गिरता जा रहा हूँ मैं, 
हमारे शहर में परिवार वाले, घर नहीं मिलते  ! 

तुम्हीं से चोट हूँ खाता, बिखर के टूट हूँ  जाता, 
तुम्हारे हाथ में लेकिन कभी, पत्थर नहीं मिलते  ! 

किसी की मुस्कुराहट में, कोई छल हो भी सकता है, 
मैं इसको जान न पाता कभी, तुम ग़र नहीं मिलते  ! 
-------------------------------  तनु थदानी

शनिवार, 21 जून 2025

सुर्ख गालों पे आंखें लाल, ऐसा कौन करता है?


सुर्ख गालों पे आंखें लाल, ऐसा कौन करता है? 
किसे मारने निकले? वही जो तुम पे मरता है ?? 

चलो हम मान लेते हैं, कहीं कुछ तो हुआ होगा, 
हमारा सब्र भी है कोमल , टूटने से डरता है  ! 

तुम्हीं ने चाल ढ़ाल बदले मेरे, खुद के मुताबिक़, 
न रहा पहले सा,ये,अब तुम्ही से सुनना पड़ता है! 

बिछड़ने की पढ़ाई से ही, हम थे फेल हो मिले, 
जहां हम फेल हों, ऐसी पढ़ाई, कौन पढ़ता है? 

तेरी खामोश लड़ाई की ,अदा पे ही  फिदा हैं,
बताये बिन किसी मुद्दे को, आखिर कौन लड़ता है? 

तुम्हारे रुठने भर से, ये मुद्दा हल नहीं होता, 
तुम्हारे रुठने से इश्क मेरा, और बढ़ता है! 
---------------------------  तनु थदानी


सोमवार, 9 जून 2025

अब अपनी कहो देखभाल, कैसे करें हम ?



अब अपनी कहो देखभाल, कैसे करें हम ?
जो  सीखा ये, जीना मुहाल, कैसे करें हम!

जिसने ये गढ़ा,माँ, प्रकृति पूज्य ही नहीं,
ऐसे लिखे कि, देखभाल, कैसे करें हम ?

बोले खुल्लेआम कि, मारो लगा के घात,
ऐसे गुरू पे आंखे लाल, कैसे करें हम ?

जिसने लिखा कि औरतें, खेती है तुम्हारी ,
फिर ऐसे जाहिलों का ख्याल, कैसे करें हम?

संवाद फरमाया कि, मैं मुस्लिम हुँ, सब काफिर,
इंसानियत का, फिर  सवाल, कैसे करें हम ?
-------------------------------  तनु थदानी

बुधवार, 4 जून 2025

चलो, अब घर को चलते हैं

हो गया बहुत कमाना,चलो,अब घर को चलते हैं!
नहीं और दूर न जाना, चलो,अब घर को चलते हैं!

हमारी मर्जियां,  तो खुद हमारी, सांसे न माने,
चलेगा अब न बहाना, चलो,अब घर को चलते हैं!

सुना है शहर में तेरा ,घर बिस्तर है सब छोटा,
तू अपने पैर फैला  ना,चलो,अब घर को चलते हैं!

कहीं बे शक्ल आवाजों की, बातों में न आ जाना,
नहीं मन और भटका ना,चलो,अब घर को चलते हैं!

तुम्हारे गांव में तुमको, सब, तेरे नाम से जाने,
यही बस सबको बताना, चलो,अब घर को चलते हैं!
----------------------------------  तनु थदानी





मंगलवार, 27 मई 2025

किसी ने सच कहा


किसी  ने  सच  कहा 


कभी हम  शक्ल  की  हर सिलवटों  पे, उलझे  जाते  हैं  !
कभी   परछाइयों    को   नाप , रस्ता    भूल   जाते   हैं !

जिन्होंने   बालपन  में  प्यार  से ,  जो -जो  रटाया   था ,
सभी  कुछ  याद   रखते   हैं  , उन्ही  को   भूल जाते  हैं !

हमारे   पास  घर  होता  है ,  माँ   होती   है ,  पापा   भी, 
उन्ही  के घर के अन्दर  क्यूँ , अलग  इक  घर बनाते  हैं ! 

किसी  ने  सच  कहा  की   दिल में, कब्रिस्तान  बनाओ , 
की दफना उसमे गलती प्रियजनो  की ,सुख जो  पाते हैं !

ग़मों  की  बारिशों  में   है  ये  वादा ,   तुम  ना   भींगोगे, 
तुम्हारे  हाथ   में  जब  तक  , अग़ज़लों  के  छाते  हैं !
--------------------------------------  तनु थदानी

हो जहाँ न आदर,जाना मत !

हो जहाँ न आदर,जाना मत !
जो सुने नहीं,समझाना मत!

पैसे से हो या,मुफत का हो,
जो पचे नहीं, वो खाना मत!

जो सत्य पे रूठे, याद रखो,
ऐसे लोगों को मनाना मत !

जो माँ की इज्जत करे नहीं,
उस से  तो हाथ, मिलाना मत!

सुन कर पीछे से, हंस देंगे
दुख अपने कभी,बताना मत!

ईश्वर तेरा, पूजा तेरी, 
बस धरम को बीच फसाना मत!
----------------- तनु थदानी