बुधवार, 4 जून 2025

चलो, अब घर को चलते हैं

हो गया बहुत कमाना,चलो,अब घर को चलते हैं!
नहीं और दूर न जाना, चलो,अब घर को चलते हैं!

हमारी मर्जियां,  तो खुद हमारी, सांसे न माने,
चलेगा अब न बहाना, चलो,अब घर को चलते हैं!

सुना है शहर में तेरा ,घर बिस्तर है सब छोटा,
तू अपने पैर फैला  ना,चलो,अब घर को चलते हैं!

कहीं बे शक्ल आवाजों की, बातों में न आ जाना,
नहीं मन और भटका ना,चलो,अब घर को चलते हैं!

तुम्हारे गांव में तुमको, सब, तेरे नाम से जाने,
यही बस सबको बताना, चलो,अब घर को चलते हैं!
----------------------------------  तनु थदानी





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