रविवार, 20 अप्रैल 2014

tanu thadani तनु थदानी हमारे धर्म गुरुओं ने सियासत सीख ली आखिर

थोड़ी शोहरत के लिये , शख्स जो , चेहरा बदलता है !
उमर भर उसका ही साया , अजनबी बन के चलता है !

जो हमने हाशिए रच कर , जगह दी प्यार को उसमें ,
सभी  मज़नून  में  हो  कर भी , न होने सा खलता  है !

यहाँ इज्जत की  हैं  कब्रें , हवस  की  लूट  है  होती ,
शहर मेरा सुबह  से  शाम  तक ,यूं  ही सुलगता  है !

तुम्हारे लफ्जों  में  अक्सर  सुना , सत्ता ज़हर होती ,
बताओ फिर तुम्हारा दिल क्यूँ,सत्ता को मचलता है ?

शहीदों  में  भी  हिंदू  ओं मुसलमां , गिन  रहें  नेता ,
धरम   की  आग  पर बे शर्म नेता , देश  तलता   है !

हमारे  धर्म गुरुओं ने , सियासत, सीख ली आखिर,
तभी आव्हान ओं फतवे से मेरा , दिल दहलता  है !

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

tanu thadani अगर तुम प्रेम में डूबे तनु थदानी


कोई  अल्लाह  है कहता , कोई  भगवान  कहता है !
अरे ! मिलता ये आखिर क्यूँ नहीं , कहाँ ये रहता है ?

कोई  घंटा  बजाता   है , कोई   अज़ान   है   देता ,
कबीरा उस सदी से इस सदी तक, क्यूँ ये सहता है ?

तुम  रोये  मंदिरों औं मस्जिदों  के , टूटने पे  क्यूँ ?
तुम रोते क्यूँ नहीं तब, घर, गरीबों का जो ढ़हता है !

हमें  तो  शर्म  है  आती , हमारे  आचरण  पे अब,
वफादारी में कुत्ता तक भी , हमसे आगे रहता है !

चलो  इक  घर बनाते हैं , वहाँ बचपन बनाते हैं ,
चलो फिर डूब के देखें , जहाँ बस प्रेम बहता है !

अगर तुम प्रेम में डूबे , तो मानव बन के निखरोगे ,
यही मस्जिद भी कहती है ,यही मंदिर भी कहता है !