मंगलवार, 27 नवंबर 2012

यकीन मानो hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }



क्या   मैं  तुम्हारी  जिन्दगी  में 
शामिल   हूँ  मात्र   दिनचर्या   की  तरह ?

ऱोज   ही  पूजाघर  में  
साथ  होती हो  भक्ति  के  ,
रसोई   में  साथ  होती  हो   स्वाद  के  ,
बाहों   में  साथ  होती  हो  आसक्ति  के ,
मगर   इसमें   प्रेम  कहाँ   है  ??

आओ   हम दोनों  खोजें   मिल कर  
विश्वास  के  गर्भ  से   पैदा हुआ  प्रेम ,
जिसने   अभी   ठीक से   चलना   भी   नहीं   था सीखा ,
छोड़  दी  हम  दोनों  ने  उसकी  ऊँगली !


नहीं  मालूम  उस  नवजात  को  मर्यादा  की  चौहद्दी ,
गर्म  साँसों  के  कंटीले  जंगल   में  फंसे 
हम  अपने  प्रेम  की  कराह   सुन तो  सकते   हैं ,
मगर  नहीं  खोज  पा  रहे  उसके  अस्तित्व  को !


मेरा  विश्वास  है  वो  मिलेगा ,
जरुर मिलेगा !
मगर  मुझे  अपनी  दिनचर्या  से  मुक्त  करोगी  तब ,
मुझे  अपनी अँगुलियों  औं  हाथों  में 
एक   दास्ताने  की   तरह  पहनोगी  जब !

दसों  उँगलियों  सी पूर्णत :  मेरे   भीतर  आओगी ,
यकीन  मानो 
एक   भी  कांटा  नहीं  चुभेगा ,
और  तभी  प्रेम  को  खोज   पाओगी  !!

गुरुवार, 15 नवंबर 2012

मेरी कमाई माँ hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी },



सब  पूछते   इस   उम्र  तक , कितना  लिया  कमा ?
मेहनत  की रोटी  घर  में  है , इज्ज़त  की  है  शमां  !


तुलना  तो   कभी   कर   नहीं ,  अपनी  इमारत   से ,
मैंने   तो   घर   बनाया   पर  ,  तूने   केवल   मकां !


जेबें  गरम , बिस्तर  नरम , फिर  छटपटाहट  क्यूँ ?
सुख   मिल  सके  सब  खोजते , ऐसी    कोई  दुकां !


मैं   संत   नहीं    हूँ   मगर  ,  ये   जानता    हूँ    मैं ,
सब  छोड़  कर  के  जाओगे , जो कुछ  किया  जमा !


गिन   भी   न    सका  कोई ,  मेरे  घर  की  कमाई ,
 मुझको   कमाया  माँ  ने  ओं , मेरी   कमाई   माँ !  


शनिवार, 3 नवंबर 2012

ऐसा क्यूँ नहीं कहते hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }


हमारे   "मैं "  के  पर्वत  से , रोजाना  हम   ही  तो  ढहते ! 
बताओ  अपनी "मैं " की जिद को, भला  क्यूँ  रहे सहते ?


हमें  जो - जो  पसंद   आता , वो हासिल  करने  को जीते ,
कि  जो  हासिल  है  उसके  साथ  ही , हम  क्यूँ नहीं रहते ?


कि  जब तुम  इक  ख़ुशी  पर , बार- बार  हंस  नहीं  पाते ,
बताओ  एक  ही  दुःख  पर   ,ये  आँसू  रोज  क्यूँ    बहते ?


तुम्हारे   साथ   माँ   रहती   है  , ऐसा   क्यूँ   जताते   हो  ?
क़ि  हम  सब  माँ  के  संग रहते  हैं,ऐसा क्यूँ नहीं कहते ??




गुरुवार, 1 नवंबर 2012

जब साजन रूठ जाता है hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }


हमारी  हो  ना  हो  मर्जी  , बहुत  कुछ   छूट   जाता है  !
हमारी   उम्र - शक्ल  को  ,  समय  ही   लूट  जाता  है  !


तुम्हारी   ज़िद   है   ओखली  ,  अहंकार    है   मूसल   ,
तुम्हारे  सामने  जो  तुमको , अक्सर  कूट  जाता  है  !


कई  बरसों  में  जतनों  से ,जो रिश्ता  ठोस  है बनता ,
वही   रिश्ता  महज   इक  बात  से  ही  टूट  जाता  है !


गले  मिलने  में  गंर संकोच  हो , तो  मुस्कुरा   देना , 
महज  मुस्कान  से शिकवा- गिला सब  फूट जाता है !


कहीं  मेहंदी  औ  चंदा  से   भी , करवाचौथ  है  होता ?
सभी व्रत  व्यर्थ  हैं  होते ,  जब साजन  रूठ  जाता है !