नश्वर चीजों के खातिर हम, पूरा ही जीवन हैं लड़ते !
मटके में छेद है जान के भी, अन्जान बने पानी भरते!
अब पैसे से आराम नहीं, इक खौफ का रुतबा आता है,
बेटा पढ़ लिख अब कमा रहा, सो बाबू जी भी हैं डरते!
इज्जत इंसान की न होती, जरूरत की इज्जत होती है
पेंशन न हो तो बाबूजी, मन मार के रोज मरा करते !
हम अनपढ़ हैं, हमरे कारण ही, हिंदी भाषा बची हुई,
वरना तुम अंग्रेजी पढ़ कर, तो राम- राम भी ना करते!
ये गज़ब हमारे देश का भी, है मौसम का अंदाज तनु,
लू से तो न मरते जितने, पैसों की गर्मी से मरते!
------------------------------- तनु थदानी
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