शनिवार, 27 अप्रैल 2024

जो तुम्हे रुठने पे हंस हंस के मनायेगा !

जो तुम्हे रुठने पे हंस हंस के मनायेगा  ! 
वो बिना इत्र ही माहौल महका जायेगा  ! 

हमें खुशियाँ नहीं,सुकून की दरकार है जी, 
पर ये सच बताओ, कौन सुनना चाहेगा? 

जो तुमने मान या अपमान, दिया लोगों को, 
तुम्हारे पास ही वो, लौट लौट आयेगा  ! 

दुखों में सुख भी होगा जज्ब,खोजो तो सही,
मगर इस बात को, कोई नहीं बतायेगा  ! 

मुश्किल से मिले जो, वो होती इज़्ज़त है, 
आसानी से तो धोखा ही, मिल पायेगा  ! 


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