शातिर है आबादी बढ़ा, शरियत पे अड़ेगा!
गरं फंस गया तो मुख से, संविधान झड़ेगा!
बुद्धिजीवी है इस बात पे ,कुतर्क करेगा!
जब तक अकारण ही , खुद नहीं पिटता,
बुद्धिजीवी है, सो कुटने के ,बाद डरेगा !
विश्व में बस एक ही, बदनाम कौम है,
जो आश्रय देगा, उसी के हाथों मरेगा!
जिसकी भी जमीं पे गया ,संस्कृति खा गया,
नीयत में बस जेहाद है, तो क्यों न लड़ेगा ?
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