दुख के सारे कारण भी , पैदा किये हम ही ने हैं!
रिश्तों के जेवर न सम्भाले ,कंकड़ पत्थर बीने हैं!
सीधे सीधे बोलूं तो हम, इंसा बड़े कमीने हैं !
बिन मुहर्त ही पैदा होते, मरते बिना मुहुरत ही,
पूरा जीवन मुहर्त पीछे ,भागे अकल से झीने हैं!
रहना उसी को आता है, सहना जिसको हैआता ,
वरना जीवन क्या है, बस, सांसो के टुकड़े सीने हैं!
----------------------------- तनु थदानी
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