रविवार, 4 फ़रवरी 2024

गरज है खुद की, वरना,प्रार्थनायें, कौन करता है

गरज है खुद की, वरना,प्रार्थनायें, कौन करता है  ? 
भला दूजे के दुख में,अपनी आंखें, कौन भरता है  ? 

किसी ने एक बीघे के लिए, भाई गंवा दिया  , 
ऐसी क्या है मजबूरी, जो ये सब , करना पड़ता है! 

तेरे पद तक, तेरे आगे ओं पीछे, अर्दली होंगे  , 
तेरे पद छोड़ते ही, देखना कि, कौन रहता है  ! 

खलल खामोशियों में क्यूं न हो, जब ख्वाहिशें खनके, 
 हो ग़र ख्वाहिशें ज्यादा, तो मानव, रोज मरता है  ! 

हमारे सब मुखौटे पारदर्शी, हो गयें हैं अब  , 
बाहर हो या हो घर, अब संभल के, रहना पड़ता है! 
------------------------------  तनु थदानी


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