सब रो भी रहे ; हैं कि नहीं, फिर वो रोता है!
कोई हमदर्द बन के छल गया, किस्सा पुराना है,
वो छलिया आजकल हमदर्द बन के, साथ सोता है!
जो मुझको छोड़ के जाना है तो जाओ, मगर सुन लो,
किसी के भी बिछड़ने से यहाँ, कोई न रोता है !
किसी ने शक्ल देखी, कह दिया कि खूबसूरत हो,
भला चरित्र जैसी शै को, आखिर कौन ढ़ोता है !
उसी ने पीठ थपथपाई, फिर आंतें निकाल ली ं,
बड़ा जालिम जमाना है, यहाँ ऐसा ही होता है !
------------------------------- तनु थदानी
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