शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

हैरान हूँ

मैं निखर जाता जो मुझमें, मेरा मैं ढ़हता कभी! 
जो निखरता तो शिकायतें, भी नहीं करता कभी! 

पहले घंटों था बिताता, बातें मनवाने को ही, 
अब बहस करने को मेरा, मन नहीं करता कभी! 

लोग मतलबों से ही, मिलते गये, हटते गये, 
मेरे मतलबों से मतलब, उनको न रहता कभी ! 

मौन से तब भी न थीं, खुशियों की रिश्तेदारियाँ, 
हैरान हूँ, खुशियों में भी, मौन है बहता कभी  ! 
-------------------------  तनु थदानी

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