दिल न मिलता,रस्म की खातिर,हाथ ही केवल मिलते हैं!
अनाथ आश्रम भरे पड़े हैं, दीन गरीब के बच्चों से,
बड़े घरों के मम्मी पापा, वृद्ध आश्रम में मिलते हैं !
छोटी हो या बड़ी इमारत, यही कहानी सबकी है,
निश्चित तौर पे इक न इक दिन,सबसे पाये हिलते हैं !
अनपढ़ श्रम बेच के खाता, पढ़े लिखों की शर्म बिकी,
अब भी नहीं है बिगड़ा कुछ चल, आदर्शों को सिलते हैं!
खाली जेब ही होती भारी, दुनियाँ में समझाया है,
कीचड़ से नाराज न हो, कीचड़ में कमल भी खिलते हैं!
--------------------------------- तनु थदानी
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