कम जो बातें करोगे तो फिर, घमंडी कहलाओगे!
केवल काम की बातें हो तो, पूरे हम मतलबी बने,
सबके चेहरे पर है चेहरा, कभी समझ न पाओगे!
जो सोचा कि सूकूं से बैठुंगा, घर जो है बना लिया,
मगर चलाने घर को बंधु , इक यात्री बन जाओगे!
खुशफहमी काआलम ये है,हस्ती मिटती नहीं हमारी,
बोल बोल के गये सिमटते, कितनी चोटें खाओगे ?
सलाह सदा हारे की लेना , और तजुर्बा जीते का,
पर दिमाग लेना खुद ही का, दुनिया में छा जाओगे!
---------------------------- तनु थदानी
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