मिलते ही चार मुर्ख, बाबा पीर बन जाओ!
दे झाड़ -फूंक- प्रवचन, अमीर बन जाओ!
दुनियाँ का हो जाना हो तो, कबीर बन जाओ!
चलते रहो फिरते रहो, अस्तित्व बचा कर,
ऐसा न हो कि तुम भी, इक भीड़ बन जाओ,
रांझा बने तुम, सामने है मृग - तृष्णा,
क्यों कह रहे हो उसे, कि हीर बन जाओ!
पैसे कमाये नींद बेच, सुकून के बाजार,
इससे तो है बेहतर कि, फकीर बन जाओ!
-------------------------- तनु थदानी
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