बुधवार, 3 जुलाई 2024

मिलते ही चार मुर्ख, बाबा पीर बन जाओ!

मिलते ही चार मुर्ख, बाबा पीर बन जाओ! 
दे झाड़ -फूंक- प्रवचन, अमीर बन जाओ! 

दुनियाँ को लूटना हो तो बन जाओ सिंकदर, 
दुनियाँ का हो जाना हो तो, कबीर बन जाओ! 

चलते रहो फिरते रहो, अस्तित्व बचा कर, 
ऐसा न हो कि तुम भी, इक भीड़ बन जाओ, 

रांझा बने तुम, सामने है मृग - तृष्णा, 
क्यों कह रहे हो उसे, कि हीर  बन जाओ!

पैसे कमाये नींद बेच, सुकून के बाजार, 
इससे तो है  बेहतर कि, फकीर बन जाओ! 
-------------------------- तनु थदानी





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