चश्मा काला पहन जो बोले, हरदम, रात है ये तो!
पर पीड़ा से परे जो अंतस , पशु की जात है ये तो!
साथ हैं खाते -पीते- चलते, रिश्तों की गठरी ले,
जरा गिरे क्या, हंस देते हैं, सीधी घात है ये तो !
वर्षों लड़ हिस्सा करवाया, खुश काहे तू होता,
अलग हुए, दो हुई रसोई, तेरी मात है ये तो !
समय सही है अपना भी तो,सभी ही अपने हैं जी,
खुशी मनाऊं कैसे,समझो, दुख की बात है ये तो !
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