शनिवार, 18 अक्टूबर 2025

कहीं विश्वास है बिकता

कहीं विश्वास है बिकता,कहीं  इज्ज़त भी बिकती  है !
हमारी  ये  सदी  तो  पूरा ,इक  बाज़ार   दिखती   है !

कहीं  जो  आग  लग जाये ,हमारे  दिल  झुलसते  हैं ,
उसी  पे   देख  मेरे  रहनुमा  की , रोटी   सिंकती   है !

यही  सच  है  तरलता  खो  गई , है  भावनाओं   की ,
सभी कुछ  हो गयें पत्थर ,कोई खुशबू  न टिकती  है !

यहाँ  सब  ठीक है  बेटा , नहीं   चिंता  कोई   करना ,
नहीं माँ आजकल की,आजकल चिट्ठी में लिखती है !
-------------------------  तनु थदानी

रविवार, 12 अक्टूबर 2025

जूलुस हो या रैली हम, चुपचाप झेलेंगे

जूलुस हो या रैली हम, चुपचाप  झेलेंगे! 
बहरे हमारी बात, भला,क्या ही समझेंगे? 

सब भेड़िये इक साथ हैं , चुनाव आ गया, 
संविधान की किताब से ,वो खेल खेलेंगे  ! 

दाढ़ी बढ़ा पदयात्रा में, वोट नापते , 
हैं लोग सब सतर्क, इनको नाप ही देंगे! 

मिट्टी लगी जो हाथ, तो,साबुन लगा धोया,
पढ लिख गये यूँ गांव, बस डिग्रियां लेंगे !
-------------------- तनु थदानी


मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

तफ्तीश पूरी हो गयी, बस हाल चाल रह गया

तफ्तीश पूरी हो गयी, बस हाल चाल रह गया ! 
सब मिला, इक तू न मिली, ये मलाल रह गया ! 

हो गये बरसों, जेहन में, नाम तेरा घुल गया, 
याद में ,शरम भरा, गुलाबी गाल रह गया  ! 

हाथ छूटा, साथ छूटा ,नाव छूटी, घाट छूटा, 
दुख यही कि आंखों में, एक बाल रह गया  ! 

सब हराम शै बिकी थी, प्यार के बाजार में, 
बिक गईं सब बोटियाँ तक, दिल हलाल रह गया  ! 

हर शहर रंगीन था, हर कोई खुद में लीन था, 
तेरे बगैर ये मुआं, जीवन निढ़ाल रह गया  ! 
----------------------- तनु थदानी

रविवार, 5 अक्टूबर 2025

मैं तुमसे दूर जा रहा हूँ , *दम ब दम!

मैं तुमसे दूर जा रहा हूँ , *दम ब दम! 
दरम्यां कुछ तो है छूटा , जो छूटे हम ! 

पानी से ,नमक को अलग कर ,खुश हुए, 
समन्दर है कि अभी तक भी न, हुआ *अदम  ! 

वफ़ा इस दौर में तो ,वाहियात बातें हैं, 
बेवजह इश्क़ में क्यों आंखें ,कर रहे हो नम  ! 

गमों को गूंथ के जाती नहीं, खुशियाँ पकाई, 
करोगी क्या भला, जमा किये, जो रंजो ग़म  !

जो तेरी यात्रा थी देह से , मेरे गुजरी, 
शिकायत है लबों पे क्यूं , जो मिले न हम! 
*लगातार
*अस्तित्व हीन
----------------------- तनु थदानी

शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

ये भी अच्छा हुआ


ये भी अच्छा हुआ,जरूरत के वक़्त,तुम नहीं आये ! 
उसी इक वक़्त ने ,जीवन के सारे,  पाठ सिखलाये  !

तू बेशक उम्र के ,चाटे जा तलवे, उम्र भर, पर सुन, 
उमर खुद को तो बढ़ाये, मगर जीवन तो घटाये  ! 

मुकम्मल जुर्म तो कर लूं, मैं तुमसे प्यार करने का,
सजा तो संगनी सी है ,खड़ी , बांहों को  फैलाये  ! 

दिल छू ले,तू ऐसी बात कर, गंर  दोस्त है मेरा, 
इधर उधर के किस्से तो ,सबों ने खूब  बतलाये  ! 

सबों से मश्वरा लेना, अदब से मुस्कुरा कर के, 
मगर करना वही जीवन में, तेरे दिल को जो भाये! 
------------------------- तनु थदानी




सोमवार, 22 सितंबर 2025

tanu thadani तनु थदानी भोले दिल के नहीं ग्राहक हैं


जब कलपूर्जे ही नीयत के ; घिस के रद्दी हो जाते हैं !
चेहरे चिकने या गोरे हो ;वो साफ़ कहाँ रह पाते हैं !


हम कत्लगाह के बाशिंदे ; हम जन्नत - हूर- परी मांगे ;
पर काम किया करते ऐसे ; कि कहने में शरमाते हैं !


अब भले बुरे का पैमाना ; इकदम ही गैरजरुरी है ;
औक़ात यूं नापी जाती है ; कि कितना रोज कमाते हैं !


घर - घर में घातों के परदे ; यूं बड़े सलीके टंगे मिलें ;
ज्यूं नंगे खड़े थे बता रहे ; कि कपड़े पहन नहाते हैं !


मातम पे रोने वाले जब ; ढ़ेरो मिन्नत से हैं आते ;
ऐसे जीवन की शैली पे ; आंखों में आंसू आते हैं !


किडनी -लीवर -आँखें व रक्त ; अब सबके दाम हुए निश्चित;
भोले दिल के नहीं ग्राहक हैं ; बाज़ार के लोग बताते हैं !
------------------------- तनु थदानी

शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

बुद्धि में किये छेद तो, सुख कैसे भरोगे?

बुद्धि में किये छेद तो, सुख कैसे भरोगे? 
सम्मान न दे ,मान को ,कैसे भला लोगे? 

धोखे सा वफादारी में, सानी नहीं कोई, 
वो लौट के आयेगा, जिसको भी तुम दोगे! 

विरोध करोगे कोई ,दिक्कत नहीं मुझको, 
परेशानी होगी तब, जो तुम तारीफ करोगे! 

अमीर न हो न सही, जमीर हो जरूर, 
दूजे से  गरं डरते नहीं,खुद से तो डरोगे! 

दिल की सुनो, दिल में रहो,मैं दिल से कह रहा, 
काबू में जुबां न हो तो, किस किस से लड़ोगे?
------------------------ तनु थदानी




सोमवार, 15 सितंबर 2025

मैं रह गया तुमसे बिछड़,यादों की खान में!

मैं रह गया तुमसे बिछड़,यादों की खान में! 
उस लोक से आ जाओ न, फिर,मेरी जान में! 

वो घर था वहाँ तू थी, अब घर नहीं रहा, 
कैसे रहुंगा अब वहाँ मैं, उस मकान में  ! 

मेरी खुशी,जीने की चाह , तेरे  संग थी, 
तू ही तो थी रुतबे में, मेरी आन बान में! 

मैं हाथ थामें रह गया, तेरा जमीन पर, 
उड़ के चली गयी क्यूं  प्रिय, आसमान में  ! 
---------------------- तनु थदानी

बुधवार, 3 सितंबर 2025

जब आंसुओं से भी न,दर्दे दिल बया होगा


जब आंसुओं से भी न,दर्दे दिल बया होगा  ! 
तो प्रेमियों का हाले दिल ,क्या से क्या होगा! 

रहना है  तेरे साथ रच, मेंहदी की तरह, जो, 
सांसो में आने जाने सा, न बे हया होगा  ! 

पिघली हुई तारीखों में, गुम होंगे तेरे बाद , 
हाथों में महज़ एक, कैलेंडर नया होगा! 

जाते हैं जाने वाले चले, जाने कहाँ, पर, 
किस हाल में होगा,यहाँ, जो रह गया होगा! 
--------------------   तनु थदानी

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

थे हम भी सिंधी, मगर हिन्दू ,हमें बे घर पड़ा होना

हमारी संस्कृति,  मिट्टी बनी, जो थी कभी सोना  ! 
बड़ी जिल्लत सी लगती है,यूँ अपने,देश को खोना  ! 

जलाया सिंध को जिसने,सभी थे सिंधी,पर मुस्लिम,
थे हम भी सिंधी, मगर हिन्दू ,हमें बे घर पड़ा होना  ! 

यहाँ हम  खुश हैं   सशरीर, पर महसूस होता है, 
हमारी आत्मा पे जख्म और टूटा सा इक कोना  ! 

कि जैसे मछलियों को, रेत दो ,पानी हटा कर के, 
करो महसूस  छटपटाहट वो , फिर जिंदगी ढ़ोना  ! 

जिन्होंने लूटा, मारा था ,पड़ोसी थे सभी सारे, 
कोई भी बाहरी न था, इन्हीं बातों का है रोना  ! 

अभी भी खेल भारत में  है जारी, टोपी वालों का, 
हश्र तुम सिंधियत का देख,सम्भलो और समझो ना !
------------------------- तनु थदानी






सोमवार, 18 अगस्त 2025

बरतन में पके खिचड़ी


बरतन में पके खिचड़ी, तो स्वस्थ, बनाती है! 
दिमाग में पके तो,  हम ही को, खा जाती है  ! 

मरने के लिए हमको , हर सुबह जगाती है! 
ये जिंदगी यूँ हम पर, एहसान जताती है! 

अपनी तो गरीबी हमें, उतना नहीं सताती, 
दूजे की अमीरी ही हमें , खूब सताती है  ! 

गुम होती खेलते ही, काग़ज़ की नाव जैसे, 
मरते ही तुम को दुनियाँ,कुछ ऐसे भुलाती है! 

तुम को भी ये पता है, कि हमको ये पता है,
जो गल्ती तुम्हारी है, झुकी पलकें बताती हैं! 

गरं ढूंढना है ढूंढो, खुद की ही खूबियों को, 
कमियाँ तो दुनिया सारी, ढूंढ ही  लाती है! 
--------------------------  तनु थदानी





गुरुवार, 14 अगस्त 2025

यहाँ पे सब ही ज्ञानी हैं

किसी को राम के अवगुण कहो तो,चिढ़ वो जाता है !
किसी को ये कहो अल्लाह नहीं है ,भिड़ वो जाता है !

कहीं  वो  भूल  न  जाये , वो  हिन्दू है , इस भारत में ,
तभी  तो  श्राद्ध  में  वो  डाक्टर , पंडे   खिलाता  है !

कभी  जकात  के  खर्चे  का  ब्योरा , माँग कर देखो ,
सुनोगे , दोस्त हो काफिर के जो ,ये सब सिखाता है !

कोई भगवा पहन खुश है , तो कोई टोपी जालीदार,
हमें  इक  वेष  में  वो  टांक  कर , उल्लु  बनाता है !

सबों  के  पास अपने मतलब वाले , ज्ञान सी शै है ,
यहाँ पे सब ही ज्ञानी हैं ,क्यूँ 'तनु ' सिर खपाता है ?
----------------------------  तनु थदानी

सामान रखिये कम , सफ़र का उसूल है

सामान रखिये कम , सफ़र का उसूल है  ! 
अरमान दिल में कम  तो,दुख दर्द फूल है ! 

अपनो से हार कर रहे, अपनो के सऺग तो, 
ये जिंदगी का खेल भी, पैसा वसूल है  ! 

माँ बाप भाई जिद की अगर, भेंट चढ़ गयें, 
गहने औ घर रूपया रुआब, सब ही धूल है! 

मालिक बने नौकर बने, या संत या जोकर बने, 
हम खुश रहें, सब खुश रहें, जीवन का मूल है! 
-------------------------- तनु थदानी


बुधवार, 13 अगस्त 2025

मुगल तो बस लूटेरे थे

मुगल तो बस लूटेरे थे , हमें तो ये ही ध्यान है !
यही इतिहास का, कड़वा मगर , सच्चा बयान है !

भिखारी को खिलाने का , हमारा धर्म है , लेकिन ,
हमारा खा के ना समझे कि ,ये उसका मकान है !

तुम्हारा बाप तुमको नाम ,राहत दे के मर गया ,
मगर तुम में तो राहत का नहीं, नामो निशान हैं !

तुम्हारे बाप ने लड़ ले लिया , हिस्सा जमीन का ,
हमारे बाप का हिस्सा ही ये , हिन्दुस्तान है !!
----------------------- तनु थदानी

रट्टा मार के हिल हिल कर ये, कैसे कागज़ पढ़ता है!

रट्टा मार के हिल हिल कर ये, कैसे कागज़ पढ़ता है! 
हूर मिलेगी, बोल के, खुद पे, बम लपेट के मरता है! 

खुदा मिलेगा पढ़ नमाज,अजी ये सब फर्जी बातें हैं, 
ओट में सजदे ओं अजान के, काले धंधे करता है! 

खुद की नज़रें पाक नहीं, बुर्के में औरत बंद किया, 
अपनी गंदी नीयत पर फिर, नाम खुदा का धरता है! 

पीर फ़कीर मजार ओं फिरके,सब जेहाद के प्यादे हैं, 
सब उसके जैसे हो जायें, इसी लिये वो लड़ता है! 
-------------------------------  तनु थदानी

मंगलवार, 12 अगस्त 2025

ये ग़म तो एक खजाना है

ये ग़म तो  एक  खजाना है !
फिर सुख तो आना जाना है!

रहने की जगह औकात ही है,
बाकी  तो  मात्र  बहाना  है !

इतने शिकवे, साजिश, नफरत,
दिल  है  या  कबाड़खाना है ?

दिल की धकधक सांसो की लय,
सुन  ; जीवन एक  तराना  है !
------------------- तनु थदानी

गुरुवार, 7 अगस्त 2025

है अबूझ खाकी और काले, कोट की भाषा

है अबूझ  खाकी और काले, कोट की भाषा  ! 
मिले जो संग खादी का, बने वो ,खोट की भाषा! 

कटी  जेबें, लुटे जो हम, बना मसला नहीं कोई, 
हताहत हो गये पर पढ़ सके न, चोट की भाषा! 

चमक यूँ ही न आ जाती, सड़को नाली गलियों पे, 
पता है हर जिले के नेता जी को, वोट की भाषा !

घूम आया मैं दुनियां, नहीं आयी जुबां आड़े , 
समझते हैं सभी सारे जहाँ में, नोट की भाषा !

सुनाया भी नहीं था गम, कि वो रो पड़ा क्यों कि,
समझता था वो कंपकपाते हुए, होठ की भाषा !
--------------------------  तनु थदानी

गुरुवार, 31 जुलाई 2025

इक अपनों की लिस्ट बनाओ !

इक अपनों की लिस्ट बनाओ ! 
उनमें अपना ढ़ूंढ़ बताओ  ! 

एक भी अपना मिल जाये तो, 
ईश्वर का आभार जताओ  ! 

दिल से जो हैं कायम होते , 
उन रिश्तों के ही बन जाओ  ! 

जरुरत से जो बनते रिश्ते, 
हरगिज़ उनको मत अपनाओ  ! 

दुनियाँ में हम सब राही हैं, 
चलते, आते जाते जाओ  ! 

बुद्धिमान तो व्यस्त मिलेंगे, 
बस नादां इक दोस्त बनाओ! 
-----------  तनु थदानी

शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

जो तुमसे दिल था लगाया

जो तुमसे दिल था लगाया, तो मैं सुलझ गया  ! 
तेरे घर,आ भी न पाया, जमाना उलझ गया  ! 

नहीं होता है साबित जिक्र से ,हैं एक मैं ओं तू, 
फिक्र ने ही  बताया, नहीं तो नासमझ गया! 

हमें तो कुछ नहीं आता, हमारी खुशनसीबी है, 
समझ ने जिसको नचाया, बेचारा समझ गया! 

सुकूँ के मायने ,जो शब्दकोशों ने ,दिये हमें, 
जीया तो,समझ आया, कि ये जीवन महज़ गया! 

तेरे बीमार होने और, तेरी मौत तक ए मित्र, 
आईना हम को दिखाया, चला तू सहज गया! 
----------------------  तनु थदानी





गुरुवार, 17 जुलाई 2025

किसी को हो पता, तो ये बता

किसी को हो पता, तो ये बता, कि क्या कहानी है ! 
निपटते एक लोटे राख में , फिर भी फुटानी है  ! 

मेरे भीतर जो था उसूल, वो  तोड़ा नहीं मैंने, 
गया कुचला वो, जिम्मेदारियों की ,कारस्तानी है ! 

ये तो  हो गया खिलवाड़, माना खेल जीवन को, 
इसी जीवन के खेल में ही, सांसे हार जानी है  ! 

अकल को खोद कर ,प्रगति के ,गढ्ढे बना दिये, 
सभी को है पता कि,अकल को न, अक्ल आनी है  ! 

तेरे सिर पे जो 'मैं' है, वो तुम्हें, देगा नहीं उठने, 
मगर उस 'मैं' को पालो, ये कहाँ की बुद्धिमानी है ? 

हमेशा से ,ये ही होता है, सबको सब पता होता, 
मगर लगता है ये कि, हमको ये ,बातें बतानी है! 
-----------------------    तनु थदानी




बुधवार, 9 जुलाई 2025

भाग रही है उम्र हमारी

भाग रही है उम्र हमारी,फिर भी खुद को बहलाते हैं! 
यहाँ तो हम  थे जीने आये, जी न पाये, मर जाते हैं!

सदा कसूर नहीं होता है , इंसानों की गल्ती का भी, 
कभी अकड़ के कारण भी तो,रिश्ते स्वाहा हो जाते हैं!

देश, माँ, जल, अग्नि, वायु, पूजा योग्य बता के हम तो, 
इंसानों में गिने हैं जाते, चाहे काफिर कहलाते हैं  !

वफ़ा की बातें करने वाले, इश्क़ की बातें करने वाले, 
पढ़े लिखो के शहरों में तो, पागल बुद्धू कहलाते हैं!

नहीं जरूरी सभी बड़ों की, बातें सभी ही मानी जाये, 
हर समाज में मूरख भी तो, आखिर बूढे हो जाते हैं!
----------------------------------- तनु थदानी