शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

ये भी अच्छा हुआ


ये भी अच्छा हुआ,जरूरत के वक़्त,तुम नहीं आये ! 
उसी इक वक़्त ने ,जीवन के सारे,  पाठ सिखलाये  !

तू बेशक उम्र के ,चाटे जा तलवे, उम्र भर, पर सुन, 
उमर खुद को तो बढ़ाये, मगर जीवन तो घटाये  ! 

मुकम्मल जुर्म तो कर लूं, मैं तुमसे प्यार करने का,
सजा तो संगनी सी है ,खड़ी , बांहों को  फैलाये  ! 

दिल छू ले,तू ऐसी बात कर, गंर  दोस्त है मेरा, 
इधर उधर के किस्से तो ,सबों ने खूब  बतलाये  ! 

सबों से मश्वरा लेना, अदब से मुस्कुरा कर के, 
मगर करना वही जीवन में, तेरे दिल को जो भाये! 
------------------------- तनु थदानी




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