ये भी अच्छा हुआ,जरूरत के वक़्त,तुम नहीं आये !
उसी इक वक़्त ने ,जीवन के सारे, पाठ सिखलाये !
तू बेशक उम्र के ,चाटे जा तलवे, उम्र भर, पर सुन,
उमर खुद को तो बढ़ाये, मगर जीवन तो घटाये !
मुकम्मल जुर्म तो कर लूं, मैं तुमसे प्यार करने का,
सजा तो संगनी सी है ,खड़ी , बांहों को फैलाये !
दिल छू ले,तू ऐसी बात कर, गंर दोस्त है मेरा,
इधर उधर के किस्से तो ,सबों ने खूब बतलाये !
सबों से मश्वरा लेना, अदब से मुस्कुरा कर के,
मगर करना वही जीवन में, तेरे दिल को जो भाये!
------------------------- तनु थदानी
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