कहीं विश्वास है बिकता , कहीं इज्ज़त भी बिकती है !
हमारी ये सदी तो पूरा , इक बाज़ार दिखती है !
कहीं जो आग लग जाये , हमारे दिल झुलसते हैं ,
उसी पे देख मेरे रहनुमा की , रोटी सिंकती है !
यही सच है तरलता खो गई , है भावनाओं की ,
सभी कुछ हो गयें पत्थर ,कोई खुशबू न टिकती है !
यहाँ सब ठीक है बेटा , नहीं चिंता कोई करना ,
नहीं माँ आजकल की , आजकल चिट्ठी में लिखती है !
------------- तनु थदानी
हमारी ये सदी तो पूरा , इक बाज़ार दिखती है !
कहीं जो आग लग जाये , हमारे दिल झुलसते हैं ,
उसी पे देख मेरे रहनुमा की , रोटी सिंकती है !
यही सच है तरलता खो गई , है भावनाओं की ,
सभी कुछ हो गयें पत्थर ,कोई खुशबू न टिकती है !
यहाँ सब ठीक है बेटा , नहीं चिंता कोई करना ,
नहीं माँ आजकल की , आजकल चिट्ठी में लिखती है !
------------- तनु थदानी
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