शनिवार, 18 अक्टूबर 2025

कहीं विश्वास है बिकता

कहीं विश्वास है बिकता,कहीं  इज्ज़त भी बिकती  है !
हमारी  ये  सदी  तो  पूरा ,इक  बाज़ार   दिखती   है !

कहीं  जो  आग  लग जाये ,हमारे  दिल  झुलसते  हैं ,
उसी  पे   देख  मेरे  रहनुमा  की , रोटी   सिंकती   है !

यही  सच  है  तरलता  खो  गई , है  भावनाओं   की ,
सभी कुछ  हो गयें पत्थर ,कोई खुशबू  न टिकती  है !

यहाँ  सब  ठीक है  बेटा , नहीं   चिंता  कोई   करना ,
नहीं माँ आजकल की,आजकल चिट्ठी में लिखती है !
-------------------------  तनु थदानी

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