रविवार, 12 अक्टूबर 2025

जूलुस हो या रैली हम, चुपचाप झेलेंगे

जूलुस हो या रैली हम, चुपचाप  झेलेंगे! 
बहरे हमारी बात, भला,क्या ही समझेंगे? 

सब भेड़िये इक साथ हैं , चुनाव आ गया, 
संविधान की किताब से ,वो खेल खेलेंगे  ! 

दाढ़ी बढ़ा पदयात्रा में, वोट नापते , 
हैं लोग सब सतर्क, इनको नाप ही देंगे! 

मिट्टी लगी जो हाथ, तो,साबुन लगा धोया,
पढ लिख गये यूँ गांव, बस डिग्रियां लेंगे !
-------------------- तनु थदानी


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें