जूलुस हो या रैली हम, चुपचाप झेलेंगे!
बहरे हमारी बात, भला,क्या ही समझेंगे?
सब भेड़िये इक साथ हैं , चुनाव आ गया,
संविधान की किताब से ,वो खेल खेलेंगे !
दाढ़ी बढ़ा पदयात्रा में, वोट नापते ,
हैं लोग सब सतर्क, इनको नाप ही देंगे!
मिट्टी लगी जो हाथ, तो,साबुन लगा धोया,
पढ लिख गये यूँ गांव, बस डिग्रियां लेंगे !
-------------------- तनु थदानी
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