शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

जो तुमसे दिल था लगाया

जो तुमसे दिल था लगाया, तो मैं सुलझ गया  ! 
तेरे घर,आ भी न पाया, जमाना उलझ गया  ! 

नहीं होता है साबित जिक्र से ,हैं एक मैं ओं तू, 
फिक्र ने ही  बताया, नहीं तो नासमझ गया! 

हमें तो कुछ नहीं आता, हमारी खुशनसीबी है, 
समझ ने जिसको नचाया, बेचारा समझ गया! 

सुकूँ के मायने ,जो शब्दकोशों ने ,दिये हमें, 
जीया तो,समझ आया, कि ये जीवन महज़ गया! 

तेरे बीमार होने और, तेरी मौत तक ए मित्र, 
आईना हम को दिखाया, चला तू सहज गया! 
----------------------  तनु थदानी





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