सोमवार, 15 सितंबर 2025

मैं रह गया तुमसे बिछड़,यादों की खान में!

मैं रह गया तुमसे बिछड़,यादों की खान में! 
उस लोक से आ जाओ न, फिर,मेरी जान में! 

वो घर था वहाँ तू थी, अब घर नहीं रहा, 
कैसे रहुंगा अब वहाँ मैं, उस मकान में  ! 

मेरी खुशी,जीने की चाह , तेरे  संग थी, 
तू ही तो थी रुतबे में, मेरी आन बान में! 

मैं हाथ थामें रह गया, तेरा जमीन पर, 
उड़ के चली गयी क्यूं  प्रिय, आसमान में  ! 
---------------------- तनु थदानी

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