सुर्ख गालों पे आंखें लाल, ऐसा कौन करता है?
किसे मारने निकले? वही जो तुम पे मरता है ??
चलो हम मान लेते हैं, कहीं कुछ तो हुआ होगा,
हमारा सब्र भी नवजात, टूटने से डरता है !
तुम्हीं ने चाल ढ़ाल बदले मेरे, खुद के मुताबिक़,
न रहा पहले सा,ये,अब तुम्ही से सुनना पड़ता है!
बिछड़ने की पढ़ाई से ही, हम थे फेल हो मिले,
जहां हम फेल हों, ऐसी पढ़ाई, कौन पढ़ता है?
तेरी खामोश लड़ाई की ,अदा पे ही फिदा हैं,
बताये बिन किसी मुद्दे को, आखिर कौन लड़ता है?
तुम्हारे रुठने भर से, ये मुद्दा हल नहीं होता,
तुम्हारे रुठने से इश्क मेरा, और बढ़ता है!
--------------------------- तनु थदानी