सोमवार, 18 अगस्त 2025

बरतन में पके खिचड़ी


बरतन में पके खिचड़ी, तो स्वस्थ, बनाती है! 
दिमाग में पके तो,  हम ही को, खा जाती है  ! 

मरने के लिए हमको , हर सुबह जगाती है! 
ये जिंदगी यूँ हम पर, एहसान जताती है! 

अपनी तो गरीबी हमें, उतना नहीं सताती, 
दूजे की अमीरी ही हमें , खूब सताती है  ! 

गुम होती खेलते ही, काग़ज़ की नाव जैसे, 
मरते ही तुम को दुनियाँ,कुछ ऐसे भुलाती है! 

तुम को भी ये पता है, कि हमको ये पता है,
जो गल्ती तुम्हारी है, झुकी पलकें बताती हैं! 

गरं ढूंढना है ढूंढो, खुद की ही खूबियों को, 
कमियाँ तो दुनिया सारी, ढूंढ ही  लाती है! 
--------------------------  तनु थदानी





गुरुवार, 14 अगस्त 2025

यहाँ पे सब ही ज्ञानी हैं

किसी को राम के अवगुण कहो तो,चिढ़ वो जाता है !
किसी को ये कहो अल्लाह नहीं है ,भिड़ वो जाता है !

कहीं  वो  भूल  न  जाये , वो  हिन्दू है , इस भारत में ,
तभी  तो  श्राद्ध  में  वो  डाक्टर , पंडे   खिलाता  है !

कभी  जकात  के  खर्चे  का  ब्योरा , माँग कर देखो ,
सुनोगे , दोस्त हो काफिर के जो ,ये सब सिखाता है !

कोई भगवा पहन खुश है , तो कोई टोपी जालीदार,
हमें  इक  वेष  में  वो  टांक  कर , उल्लु  बनाता है !

सबों  के  पास अपने मतलब वाले , ज्ञान सी शै है ,
यहाँ पे सब ही ज्ञानी हैं ,क्यूँ 'तनु ' सिर खपाता है ?
----------------------------  तनु थदानी

सामान रखिये कम , सफ़र का उसूल है

सामान रखिये कम , सफ़र का उसूल है  ! 
अरमान दिल में कम  तो,दुख दर्द फूल है ! 

अपनो से हार कर रहे, अपनो के सऺग तो, 
ये जिंदगी का खेल भी, पैसा वसूल है  ! 

माँ बाप भाई जिद की अगर, भेंट चढ़ गयें, 
गहने औ घर रूपया रुआब, सब ही धूल है! 

मालिक बने नौकर बने, या संत या जोकर बने, 
हम खुश रहें, सब खुश रहें, जीवन का मूल है! 
-------------------------- तनु थदानी


बुधवार, 13 अगस्त 2025

मुगल तो बस लूटेरे थे

मुगल तो बस लूटेरे थे , हमें तो ये ही ध्यान है !
यही इतिहास का, कड़वा मगर , सच्चा बयान है !

भिखारी को खिलाने का , हमारा धर्म है , लेकिन ,
हमारा खा के ना समझे कि ,ये उसका मकान है !

तुम्हारा बाप तुमको नाम ,राहत दे के मर गया ,
मगर तुम में तो राहत का नहीं, नामो निशान हैं !

तुम्हारे बाप ने लड़ ले लिया , हिस्सा जमीन का ,
हमारे बाप का हिस्सा ही ये , हिन्दुस्तान है !!
----------------------- तनु थदानी

रट्टा मार के हिल हिल कर ये, कैसे कागज़ पढ़ता है!

रट्टा मार के हिल हिल कर ये, कैसे कागज़ पढ़ता है! 
हूर मिलेगी, बोल के, खुद पे, बम लपेट के मरता है! 

खुदा मिलेगा पढ़ नमाज,अजी ये सब फर्जी बातें हैं, 
ओट में सजदे ओं अजान के, काले धंधे करता है! 

खुद की नज़रें पाक नहीं, बुर्के में औरत बंद किया, 
अपनी गंदी नीयत पर फिर, नाम खुदा का धरता है! 

पीर फ़कीर मजार ओं फिरके,सब जेहाद के प्यादे हैं, 
सब उसके जैसे हो जायें, इसी लिये वो लड़ता है! 
-------------------------------  तनु थदानी

मंगलवार, 12 अगस्त 2025

ये ग़म तो एक खजाना है

ये ग़म तो  एक  खजाना है !
फिर सुख तो आना जाना है!

रहने की जगह औकात ही है,
बाकी  तो  मात्र  बहाना  है !

इतने शिकवे, साजिश, नफरत,
दिल  है  या  कबाड़खाना है ?

दिल की धकधक सांसो की लय,
सुन  ; जीवन एक  तराना  है !
------------------- तनु थदानी

गुरुवार, 7 अगस्त 2025

है अबूझ खाकी और काले, कोट की भाषा

है अबूझ  खाकी और काले, कोट की भाषा  ! 
मिले जो संग खादी का, बने वो ,खोट की भाषा! 

कटी  जेबें, लुटे जो हम, बना मसला नहीं कोई, 
हताहत हो गये पर पढ़ सके न, चोट की भाषा! 

चमक यूँ ही न आ जाती, सड़को नाली गलियों पे, 
पता है हर जिले के नेता जी को, वोट की भाषा !

घूम आया मैं दुनियां, नहीं आयी जुबां आड़े , 
समझते हैं सभी सारे जहाँ में, नोट की भाषा !

सुनाया भी नहीं था गम, कि वो रो पड़ा क्यों कि,
समझता था वो कंपकपाते हुए, होठ की भाषा !
--------------------------  तनु थदानी