मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

जेवर हिंदू धर्म हमारा, तेवर हिंदुस्तान है

जेवर हिंदू धर्म हमारा, तेवर हिंदुस्तान है !
दोनों संभालेंगे हम ही, ये भी हमको भान है!

नाली के कीड़ों को जैसे, अच्छी दुनियां न भाती,
चिपके रहना इक किताब से, ये इनकी पहचान है !
 
जिसने धर्म के खातिर मेरे,देश के टुकड़े कर डाले,
ऐसा मजहब हो या गाली,दोनों एक समान है !

गंगा मेरी जमुना मेरी,हिंदी उर्दू तहजीबें भी,
वो जेहाद में जान पालता, भारत मेरी जान है!

राष्ट्र गान में खड़ा नहीं जो, राष्ट्र वंदना करे नहीं,
नहीं वो भाई मित्र हमारा, ये भी हमको ज्ञान है!

अगर न चेते, बढा आबादी, घर तेरा हथिया लेगा,
कहा है थोड़ा बहुत समझना,तेरा हिंदुस्तान है !

हालात को तो हू ब हू, लिखना भी चाहिये

हालात को तो हू ब हू, लिखना भी चाहिये !
मगर ये तो न लिखते, तुम्हे, बिकना भी चाहिये !

तुम्हारी बातें अदायें वो हंसी, सब कबूल हैं,
मगर जैसे हो, वैसा ही तुम्हे, दिखना भी चाहिये!

दिल में जमा किये कबाड़, पत्थरों से, क्यों,
अब रो रहे चेहरा तुम्हे, चिकना भी चाहिये!

व्यापार करते करते बने, तुम हो लिजलिजे,
रिश्ते बचे सो अब तुम्हे, सिकना भी चाहिये!

हो दूर भले पर, सलाह, भाईयों की पर,
जरुरी  हो कि,न हो तुम्हे, टिकना भी चाहिये!

शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025

बिना नाड़े के पैजामें में हैं, विपक्षी सभी


नहीं हैरान हूँ जो, जेब कटती,किस्तों  में !
बड़े आराम से, औकात फटती, किस्तों में !

हमारे पास तो,खोने के लिये, कुछ भी नहीं,
सिवाय उम्र के जो , रोज घटती, किस्तों में  !

गमों को यूँ, नजर अंदाज किये, बैठे हैं,
खुशी की आड़ ले,मुस्कान बंटती, किस्तों में !

हमारे हक से भी, मिलने को, हम तरसे,
और हस्ती हकों की,जाती हटती, किस्तों में !
  
मुआं इश्क़ भी बे शर्म है, छिपता ही नहीं,
भले तासीर है, वफा की पटती, किस्तों में!

बिना नाड़े के पैजामें में हैं, विपक्षी सभी
जिनकी नाकामियां, संविधान रटती,किस्तों में !
------------------------- तनु थदानी

रविवार, 6 अप्रैल 2025

अगर हो सत्य पे


अगर हो सत्य पे, तो कभी भी मत डरना !
जिस्म बिके,  आत्मा का सौदा मत करना !

हजारों साल तो जीना नहीं है, हमको तुमको,
जिंदगी जीना, जीने से पहले मत मरना!

कोई गरीब जो, अमीर बने इकदम से,
वास्ता रखना पर, शादी ब्याह मत करना !

मैं तेरे दिल की कोठरी में, सदा जागता हूं,
बे हिचक आना,कुंडी पे हाथ मत धरना !

जिन्होंने   देश को लूटा,  तुझे लड़वायेंगे,
उन्ही से लड़ना, उनके खातिर मत लड़ना!







सोमवार, 31 मार्च 2025

लोग आते रहे, लोग जाते रहे

लोग आते रहे, लोग जाते रहे, कुछ पी के यहाँ लड़खड़ाते रहे!
हम इंसा हैं वाकिफ है, पर आदतन, खुद को हिंदु ओं मुस्लिम, बताते रहे!


अदा पे फिदा है, ये सारा जहां, असल में मोहब्बत, न करता कोई,
हम गुथ के जो बैठे,इक मतलब से ही, तो इसी को मोहब्बत बताते रहे!

जब भी अंधों ने मांगी है लाठी तो हम, बहाने किये कि, न देनी पड़े,
हमने अभिनय किया कि, हैं लंगड़े जो हम, सो अंधों के आगे, लंगड़ाते रहे!

ये बाबू ये साहेब जो तनख्वाह लेते, वो होती है आफिस में आने की बस,
काम करने का लेते हैं रुपया हमसे, हम भरते रहें, वो भराते रहे !


हस्ती बुलबुला, पर ठसक न पूछो, भूल के हम हैं यात्री, रहे ठाठ से,
भूकंपो सैलाबों के,साये में भी, इस धरती पे खुद को, चराते रहे !




बुधवार, 26 मार्च 2025

मैं भी पागल तू भी पागल

हरा मले तू, मलुं मैं  भगवा,दिन पूरा ही इसमें बीते!
मैं भी नंगा तू भी नंगा, जरुरत नहीं कि कपड़े सीते!

हिंदू मुस्लिम रहे मरण तक, भूल के ये हम इंसा भी थे,
मैं जादूगर तुम जादूगर, बिना आत्मा दोनों जीते!

झरनों की कलकल से ले के, गुल में हवा में प्रेम है बहता 
मैं भी मुर्दा तू भी मुर्दा, प्रेम का रस  हम   कैसे पीते!

वोट दिया कि, सेवक बन वो, काम करेगा लेकिन देखो
मैं भी पागल तू भी पागल, काट रहा वो हमरे फीते!

गांठ अगर दिल में पड़ जाये

गांठ अगर दिल में पड़ जाये, गांठ को खोलो धीरे धीरे!
कोलाहल थम जाने दो फिर, बात तुम बोलो धीरे धीरे!

दिल की धड़कन मस्त प्रकृति,प्यार दिया,परिवार दिया,
ईश्वर तुमको सब कुछ देगा, सब कुछ ही लो धीरे धीरे!

धर्मों के कीचड़ से ले कर, नफरत के जहरीले नाले,
तुम छींटो की जद में खुद हो,घोला यहाँ जो धीरे धीरे!

सदियों से जो हिन्दू मुस्लिम,बने फटाफट जन्म से लेकिन,
नयी सदी में नये बनो ओं ,  इंसा हो लो धीरे धीरे !