शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

यहाँ जो डगमगायेगा

यहाँ जो डगमगायेगा
यहाँ जो डगमगायेगा, यकीनन डूब जायेगा! 
समन्दर है ये इश्क़, हर लहर पे घर बनायेगा ! 

कभी न छोड़ के जाना, मेरी सांसों में रम जाना, 
सिवा तेरे मेरे दिल में, न कोई और आयेगा  ! 

चाहे जो बुरा होगा, बुरे से जो जुड़ा होगा, 
जो तेरा हाथ मेरे हाथ हो , सब टल ही जायेगा! 

ख्वाहिश का पुलिंदा है, यहाँ पे जो भी जिंदा है,
मेरी तो ख्वाहिश ही है एक, कि तू मुस्कुराये जा  ! 

समूची यात्रा में अंत तक,कितनों का दिल जीता
यही बस याद रख, सबकुछ, जमाना भूल जायेगा!
-------------------------------  तनु थदानी

बुधवार, 5 नवंबर 2025

पैसे क्यूँ कमाते हैं

दरअसल होता यूं है , जब भी हम,पैसे कमाते हैं !
महज़ पैसे  कमा , इज्जत  कमाना , भूल जाते हैं !

हमें बिलकुल न भाती गंदगी ,कचरे की ये दुनियां,
तभी तो खिड़कीयों पे , मोटा सा ,पर्दा लगाते हैं !

खुदा ने बख्शी है खुशबू ,हवा पानी की नेमत जो ,
हम बोतल बंद  में , उन नेमतों  को , बेच आते हैं !

कभी सच सुनना हो मुझसे,ठेके आ के ही मिलना,
सभी कहते हैं दारू पी के ही , सच  बड़बड़ाते हैं !

हमारी  दोस्ती  दो  पैग  से , बनती  बिगड़ती  है ,
तभी तो  जिंदगी भर,  जिंदगी को , छटपटाते  हैं !

तेरी जीने की खातिर,  की गई,  चालाकियां प्रपंच,
तुम्हें बस दुःख में ही रहना , तेरी फितरत बताते हैं !

कभी  कब्रों  के  पास  बैठना , औकात  जानोगे ,
बनाते  हैं महल  लेकिन,वही  छे फुट ही  पाते  हैं !

यहाँ  पे  मौत पे  रोना , महज़ इक  रस्म  है  बंधु ,
ओं सीना तान के , हम  आदमी  हैं , ये बताते  हैं !

मेरी बातों ने जिसको भी किया ,नंगा, पलट कर के ,
मैं हूं उन जैसा ही , ये कह के वो , दर्पण दिखाते हैं !

हमें  क्या  नींद- चैन- शांति , पैसों  से  मिलती  है ?
समझ में ये  नहीं  आता , कि  पैसे  क्यूँ  कमाते  हैं ??
--------------------------------  तनु थदानी


सोमवार, 3 नवंबर 2025

सुर्ख गालों पे आंखें लाल, ऐसा कौन करता है?

सुर्ख गालों पे आंखें लाल, ऐसा कौन करता है? 
किसे मारने निकले? वही जो तुम पे मरता है ?? 

चलो हम मान लेते हैं, कहीं कुछ तो हुआ होगा, 
हमारा सब्र भी है कोमल , टूटने से डरता है  ! 

तुम्हीं ने चाल ढ़ाल बदले मेरे, खुद के मुताबिक़, 
न रहा पहले सा,ये,अब तुम्ही से सुनना पड़ता है! 

बिछड़ने की पढ़ाई से ही, हम थे फेल हो मिले, 
जहां हम फेल हों, ऐसी पढ़ाई, कौन पढ़ता है? 

तेरी खामोश लड़ाई की ,अदा पे ही  फिदा हैं,
बताये बिन बिना मुद्दे पे,आखिर कौन लड़ता है? 

तुम्हारे रुठने भर से, ये मुद्दा हल नहीं होता, 
तुम्हारे रुठने से इश्क मेरा, और बढ़ता है! 
---------------------------  तनु थदानी


शनिवार, 18 अक्टूबर 2025

कहीं विश्वास है बिकता

कहीं विश्वास है बिकता,कहीं  इज्ज़त भी बिकती  है !
हमारी  ये  सदी  तो  पूरा ,इक  बाज़ार   दिखती   है !

कहीं  जो  आग  लग जाये ,हमारे  दिल  झुलसते  हैं ,
उसी  पे   देख  मेरे  रहनुमा  की , रोटी   सिंकती   है !

यही  सच  है  तरलता  खो  गई , है  भावनाओं   की ,
सभी कुछ  हो गयें पत्थर ,कोई खुशबू  न टिकती  है !

यहाँ  सब  ठीक है  बेटा , नहीं   चिंता  कोई   करना ,
नहीं माँ आजकल की,आजकल चिट्ठी में लिखती है !
-------------------------  तनु थदानी

रविवार, 12 अक्टूबर 2025

जूलुस हो या रैली हम, चुपचाप झेलेंगे

जूलुस हो या रैली हम, चुपचाप  झेलेंगे! 
बहरे हमारी बात, भला,क्या ही समझेंगे? 

सब भेड़िये इक साथ हैं , चुनाव आ गया, 
संविधान की किताब से ,वो खेल खेलेंगे  ! 

दाढ़ी बढ़ा पदयात्रा में, वोट नापते , 
हैं लोग सब सतर्क, इनको नाप ही देंगे! 

मिट्टी लगी जो हाथ, तो,साबुन लगा धोया,
पढ लिख गये यूँ गांव, बस डिग्रियां लेंगे !
-------------------- तनु थदानी


मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

तफ्तीश पूरी हो गयी, बस हाल चाल रह गया

तफ्तीश पूरी हो गयी, बस हाल चाल रह गया ! 
सब मिला, इक तू न मिली, ये मलाल रह गया ! 

हो गये बरसों, जेहन में, नाम तेरा घुल गया, 
याद में ,शरम भरा, गुलाबी गाल रह गया  ! 

हाथ छूटा, साथ छूटा ,नाव छूटी, घाट छूटा, 
दुख यही कि आंखों में, एक बाल रह गया  ! 

सब हराम शै बिकी थी, प्यार के बाजार में, 
बिक गईं सब बोटियाँ तक, दिल हलाल रह गया  ! 

हर शहर रंगीन था, हर कोई खुद में लीन था, 
तेरे बगैर ये मुआं, जीवन निढ़ाल रह गया  ! 
----------------------- तनु थदानी

रविवार, 5 अक्टूबर 2025

मैं तुमसे दूर जा रहा हूँ , *दम ब दम!

मैं तुमसे दूर जा रहा हूँ , *दम ब दम! 
दरम्यां कुछ तो है छूटा , जो छूटे हम ! 

पानी से ,नमक को अलग कर ,खुश हुए, 
समन्दर है कि अभी तक भी न, हुआ *अदम  ! 

वफ़ा इस दौर में तो ,वाहियात बातें हैं, 
बेवजह इश्क़ में क्यों आंखें ,कर रहे हो नम  ! 

गमों को गूंथ के जाती नहीं, खुशियाँ पकाई, 
करोगी क्या भला, जमा किये, जो रंजो ग़म  !

जो तेरी यात्रा थी देह से , मेरे गुजरी, 
शिकायत है लबों पे क्यूं , जो मिले न हम! 
*लगातार
*अस्तित्व हीन
----------------------- तनु थदानी