मैं रह गया तुमसे बिछड़,यादों की खान में!
उस लोक से आ जाओ न, फिर,मेरी जान में!
वो घर था वहाँ तू थी, अब घर नहीं रहा,
कैसे रहुंगा अब वहाँ मैं, उस मकान में !
मेरी खुशी,जीने की चाह , तेरे संग थी,
तू ही तो थी रुतबे में, मेरी आन बान में!
मैं हाथ थामें रह गया, तेरा जमीन पर,
उड़ के चली गयी क्यूं प्रिय, आसमान में !
---------------------- तनु थदानी