गुरुवार, 31 जुलाई 2025

इक अपनों की लिस्ट बनाओ !

इक अपनों की लिस्ट बनाओ ! 
उनमें अपना ढ़ूंढ़ बताओ  ! 

एक भी अपना मिल जाये तो, 
ईश्वर का आभार जताओ  ! 

दिल से जो हैं कायम होते , 
उन रिश्तों के ही बन जाओ  ! 

जरुरत से जो बनते रिश्ते, 
हरगिज़ उनको मत अपनाओ  ! 

दुनियाँ में हम सब राही हैं, 
चलते, आते जाते जाओ  ! 

बुद्धिमान तो व्यस्त मिलेंगे, 
बस नादां इक दोस्त बनाओ! 
-----------  तनु थदानी

शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

जो तुमसे दिल था लगाया

जो तुमसे दिल था लगाया, तो मैं सुलझ गया  ! 
तेरे घर,आ भी न पाया, जमाना उलझ गया  ! 

नहीं होता है साबित जिक्र से ,हैं एक मैं ओं तू, 
फिक्र ने ही  बताया, नहीं तो नासमझ गया! 

हमें तो कुछ नहीं आता, हमारी खुशनसीबी है, 
समझ ने जिसको नचाया, बेचारा समझ गया! 

सुकूँ के मायने ,जो शब्दकोशों ने ,दिये हमें, 
जीया तो,समझ आया, कि ये जीवन महज़ गया! 

तेरे बीमार होने और, तेरी मौत तक ए मित्र, 
आईना हम को दिखाया, चला तू सहज गया! 
----------------------  तनु थदानी





गुरुवार, 17 जुलाई 2025

किसी को हो पता, तो ये बता

किसी को हो पता, तो ये बता, कि क्या कहानी है ! 
निपटते एक लोटे राख में , फिर भी फुटानी है  ! 

मेरे भीतर जो था उसूल, वो  तोड़ा नहीं मैंने, 
गया कुचला वो, जिम्मेदारियों की ,कारस्तानी है ! 

ये तो  हो गया खिलवाड़, माना खेल जीवन को, 
इसी जीवन के खेल में ही, सांसे हार जानी है  ! 

अकल को खोद कर ,प्रगति के ,गढ्ढे बना दिये, 
सभी को है पता कि,अकल को न, अक्ल आनी है  ! 

तेरे सिर पे जो 'मैं' है, वो तुम्हें, देगा नहीं उठने, 
मगर उस 'मैं' को पालो, ये कहाँ की बुद्धिमानी है ? 

हमेशा से ,ये ही होता है, सबको सब पता होता, 
मगर लगता है ये कि, हमको ये ,बातें बतानी है! 
-----------------------    तनु थदानी




बुधवार, 9 जुलाई 2025

भाग रही है उम्र हमारी

भाग रही है उम्र हमारी,फिर भी खुद को बहलाते हैं! 
यहाँ तो हम  थे जीने आये, जी न पाये, मर जाते हैं!

सदा कसूर नहीं होता है , इंसानों की गल्ती का भी, 
कभी अकड़ के कारण भी तो,रिश्ते स्वाहा हो जाते हैं!

देश, माँ, जल, अग्नि, वायु, पूजा योग्य बता के हम तो, 
इंसानों में गिने हैं जाते, चाहे काफिर कहलाते हैं  !

वफ़ा की बातें करने वाले, इश्क़ की बातें करने वाले, 
पढ़े लिखो के शहरों में तो, पागल बुद्धू कहलाते हैं!

नहीं जरूरी सभी बड़ों की, बातें सभी ही मानी जाये, 
हर समाज में मूरख भी तो, आखिर बूढे हो जाते हैं!
----------------------------------- तनु थदानी