शनिवार, 16 दिसंबर 2023

प्यार को बेजान शब्दों ,से भला क्या वास्ता ?

लब पे शेर  आये की ,आंखों में गज़ल भर आई  ! 
उड़ के, यादों के शहर से, इक खुशी सी घर आई! 

जद में सफर, के जो थे , तन्हाई के  किस्से  बने , 
खिल उठे, तुम आ रही हो, जब से ये खबर आई! 

मैं भी कश्मकश में था,ओ तू भी कश्मकश में थी, 
शर्म भी बेशर्म  बन के,  गालों पे  उभर आई  ! 

प्यार को बेजान शब्दों ,से भला क्या वास्ता  ? 
प्यार की हर पंक्तियाँ , मुस्कान में नज़र आई  ! 
----------------------------  तनु थदानी

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