गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

हो के भी नाराज मैं आखिर कर क्या लूंगा?

बात नहीं थी कुछ भी, मसला, खड़ा हो गया ! 
खून का रिश्ता इकदम चिकना, घडा़ हो गया! 

बेटा  बिना मशवरे ही सब निर्णय  लेता, 
खुश ही हो लूं  की अब तो वो; बड़ा हो गया! 

हो के भी नाराज मैं आखिर कर क्या लूंगा?
दर्द पिता का छलका, घाव, हरा हो गया! 

ढलते सूरज ने मुझको  औकात बताई, 
मुझसे मेरी छाया का कद, बड़ा हो गया! 
-------------------------- तनु थदानी

शनिवार, 19 अक्टूबर 2024

दुख की बात है ये तो


चश्मा काला पहन जो बोले, हरदम, रात है ये तो! 
पर पीड़ा से परे जो अंतस , पशु की जात है ये तो! 
 
साथ हैं खाते -पीते- चलते, रिश्तों की गठरी ले, 
जरा गिरे क्या, हंस देते हैं, सीधी घात है ये तो  ! 

वर्षों लड़ हिस्सा करवाया, खुश काहे तू होता, 
अलग हुए, दो हुई रसोई, तेरी मात है ये तो  ! 

समय सही है अपना भी तो,सभी ही अपने हैं जी, 
खुशी मनाऊं कैसे,समझो, दुख की बात है ये तो  ! 

तमाशा कौन करे,

दुःखी तो खुश  दिखे वो, इसलिए ही मुस्कुराता है! 
कहीं तुम जान न जाओ, सो तुमको भी हँसाता है! 

खिलौने छोड़ मेरे दिल से जो, खेला है तू, तब से, 
मेरे भीतर का बच्चा, तिलमिलाता, टूट जाता है! 

सूकूं तो नींद लंबी में ही है , जो मौत कहलाती
सभी दुख जागने में हैं, यही जीवन बताता है  ! 

यहाँ ये जान के साजिश में शामिल,खुद की छाया है, 
उसी के साथ में फिर भी, पूरा जीवन बिताता है! 

तमाशा कौन करे, घर न बिखरे, इसलिये तनु  , 
सलीके से सभी गम , मुस्कुराहट में छिपाता है  ! 










शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

सैफई वाले नाच को, संस्कृति बताया,


सैफई वाले नाच को, संस्कृति बताया, 
वोटों के लिए रामभक्त, मार गिराया  ! 

मसला नहीं था ये कि, वो पुल क्यूँ ढ़ह गया, 
ऐसा जो बना, वैसा, पैसा क्यूँ नहीं आया  ?? 

अफसर थे परेशान कि, बाकी का क्या लिखें, 
उन चार में था तीन तो, कागज पे बनाया  !

हम तो डकैत थे, यूँ ही चुनाव लड़ के फिर, 
डकैती को राजनीति में, व्यवहार कराया! 

ये ही है खूबसूरती,समाजवाद की, 
पूरे घर व रिश्तेदार को, चुनाव लड़वाया  ! 

----------------------  तनु थदानी