ये उम्र का सिलबट्टा सबको, इक दिन चटनी कर जायेगा,
रूतबा व जाति रंग धरम,सब पिस के ढेर लगायेगा !
हर बच्चा काफिर होता है, माँ को भगवान समझता है,
है सीधी सच्ची बात मगर वो, इसको व्यंग्य बतायेगा !
सच बोल किसी को दुखी करूँ, ये मुझसे न हो पायेगा !
सब कहते सबों से बेहतर हूँ, न जिद करता न रुठता हूँ,
मालूम है सच ,जो रूठुंगा, कोई भी नहीं मनायेगा !
मतलब की टोपी पहन के जब,इज्जत के कपड़े भूला वो,
नंगा क्या भला निचोड़ेगा,नंगा क्या भला नहायेगा ?
देता न किसी को पुण्य दगा, होता ही नहीं है पाप सगा,
जो कर्म की है पूजा करता, क्या धर्म उसे ठग पायेगा!
----------------------- तनु थदानी