रविवार, 28 अप्रैल 2024

मेरे लहजे में तू है, कैसे मैं छिपाऊँगा?

मेरे लहजे में तू है, कैसे मैं छिपाऊँगा? 
तेरे बगैर बता ,कैसे मैं रह पाऊंगा  ? 

कभी आंसू के बहाने, मैं तेरी आंखों में था  , 
अभी बन के काजल,आंखों को सजाऊंगा! 

तुम्हारी धड़कनों में, मैं बसा हूँ स्वर बन के, 
तुम अगर छोड़ दोगी, तो मैं कहाँ जाऊंगा? 

महज़ कतरे सा मुझे, सांस के कतरे में रखो,
मैं तुझमें आऊंगा ,जाऊंगा, मुस्कुराऊँगा  ! 

------------------------------  तनु थदानी

शनिवार, 27 अप्रैल 2024

जो तुम्हे रुठने पे हंस हंस के मनायेगा !

जो तुम्हे रुठने पे हंस हंस के मनायेगा  ! 
वो बिना इत्र ही माहौल महका जायेगा  ! 

हमें खुशियाँ नहीं,सुकून की दरकार है जी, 
पर ये सच बताओ, कौन सुनना चाहेगा? 

जो तुमने मान या अपमान, दिया लोगों को, 
तुम्हारे पास ही वो, लौट लौट आयेगा  ! 

दुखों में सुख भी होगा जज्ब,खोजो तो सही,
मगर इस बात को, कोई नहीं बतायेगा  ! 

मुश्किल से मिले जो, वो होती इज़्ज़त है, 
आसानी से तो धोखा ही, मिल पायेगा  ! 
--------------------------   तनु थदानी


शनिवार, 20 अप्रैल 2024

बुद्धि में किये छेद तो, सुख कैसे भरोगे?

बुद्धि में किये छेद तो, सुख कैसे भरोगे? 
सम्मान न दे ,मान को ,कैसे भला लोगे? 

धोखे सा वफादारी में, सानी नहीं कोई, 
वो लौट के आयेगा, जिसको भी तुम दोगे! 

विरोध करोगे कोई ,दिक्कत नहीं मुझको, 
परेशानी होगी तब, जो तुम तारीफ करोगे! 

अमीर न हो न सही, जमीर हो जरूर, 
दूजे से  गरं डरते नहीं,खुद से तो डरोगे! 

दिल की सुनो, दिल में रहो,मैं दिल से कह रहा, 
काबू में जुबां न हो तो, किस किस से लड़ोगे?
------------------------ तनु थदानी




रविवार, 14 अप्रैल 2024

कर लो नाटक

सरकारें बनती थी, गठबंधन से, बात पुरानी है, 
अब विपक्ष गठबंधन करता, ये भी अजब कहानी है! 

राम को झूठ बताया , अब वो राम राम चिल्ला‌ते हैं, 
कर लो नाटक, देख रही ये, जनता बड़ी सयानी है! 

नस्ल गधे की, हरगिज घोड़ा बना  नहीं सकता कोई, 
उस पे जिद कि चमचों से ही, टूटी नाव चलानी है! 

देख चौकन्ना चौकिदार को, चोरों में खलबली मची, 
चोर हो रहे इकजुट, चाभी घर की जो हथियानी है! 

---------------------------------  तनु थदानी

रविवार, 7 अप्रैल 2024

बिक गया

विज्ञापनों के छल से, खरीददार बिक गया  ! 
इतना था समझदार कि, हर बार बिक गया  ! 

मैं यहां बाजार में ,बैठा था बिकने को , 
मैं तो नहीं बिका, मेरा आधार बिक गया! 

ले जा रहा था अपने हक़ में, लड़ने को जिसे , 
रस्ते में चलते चलते, मेरा यार बिक गया ! 

तुमको नहीं पता, दुनियाँ की तरक्की का, 
खबर भी न लगती, कि समाचार बिक गया! 

ओढ़ के अपनों में जब भी, मैं गया चेहरा, 
आराम से मेरा तो, नकली प्यार बिक गया! 

जब झूठ के था संग तो, खुशहाल बहुत था, 
जो सच के गया साथ तो, घर बार बिक गया! 

सपनों की चौहद्दी में है, परिवार मेरा ही  , 
खुलते ही नींद, स्वप्न वाला, प्यार बिक गया  ! 

बेहतर वो शराबी ही है, सच बोलता तो है, 
देखा नमाजियों का जो, किरदार बिक गया! 

नेता बिके, वोटर बिके, जमीन ,जल, वर बिके,
जीवन का सारा अर्थ, सारा सार बिक गया  ! 

मैं दूध ओं चाकू लिये , बैठा था सड़क पे, 
महंगे में मेरा चाकू , धारदार  बिक गया  ! 

------------------------   तनु थदानी