बुधवार, 5 नवंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी गद्दी छोड़ो ओ राजा जी

हम लिखते,दुःख की कविताएँ ,उनसे पूछो दुःख के माने !
जिन बच्चों ने, ओढ़ गरीबी , सपने अपने दुःख से साने !

मायूसी  के  बीहड़  वाले , बच्चों  में  मुस्कान  कहाँ  है ?
धूप  ठंड  और भूख के देखो , उलझ गयें सब ताने बाने !

कचरा बीने , ईटें ढ़ोये , बचपन  आखिर  कितना  रोये ?
देश  हमारा  चला  रहें   हैं , अंधों  में  जो  राजा   काने !

बच्चों  के  लब  खिलने  वाली , हँसी  हमारी पूंजी है जी ,
वही नहीं गंर देश में बोलो , रुपये - डाॅलर  के क्या माने !

फुटपाथ  पे  पलता  बचपन , देश  के भावी  कर्णधार हैं ,
उन तक तो न पहुँच सके पर,  लगे चाँद पर आने - जाने !

बाल- मजूरी वाला चिंतन  , होटल  पांच सितारा में क्यूँ ?
गद्दी  छोड़ो  ओ  राजा  जी ,  नहीं   चलेंगे  और  बहाने !

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