रविवार, 2 नवंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी पता ठिकाना भूल गयें हैं

तुमको रोता देख के रोयें , ऐसा हमने प्यार बनाया !
तुम बिन जी पायेंगे कैसे , चुप्पी का जुगाड़  बनाया !

साथ चलो गंर आँख मूंद भी,नहीं गिरोगी संग मेरे तू ,
आस का घर तुमसे जब टूटा,हमने ही हर बार बनाया!

प्यार करूँगा बदले इसके ,प्यार ही माँगू शर्त नहीं ये ,
नहीं वो होगा प्रेमी जिसने ,चाहत को व्यापार बनाया !

सांसो की औकात नहीं कि,नाम वो तेरा भूल के आये ,
जिन सांसो में नाम न तेरा, उनसे न व्यवहार बनाया !

नहीं चाहिये  शहर चमकता ,नहीं चाहिये लोग पराये ,
हम-तुम जितना ही अब मैंने ,छोटा सा संसार बनाया !

पता ठिकाना भूल गये हैं ,अब तो तेरे ख्याल में रहते ,
ईंट के घर में पता नहीं है , कौन गया है कौन है आया !


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें