गुरुवार, 27 नवंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी मुझे दंगा नहीं देना .

रहो खुश तुमको मैं इस मुल्क का ,राजा बनाता हूँ !
मुझे  दंगा  नहीं  देना , मैं  ये  झोली   फैलाता  हूँ !

यहाँ लायसेंस ले कर मौत का , व्यापार होता है ,
तहत कानून ये  ज़ायज, तभी मैं  तिलमिलाता हूँ !

मेरे घर के निकट, बाहर सड़क पे , दो दो ठेके हैं ,
मगर मैं दूध की खातिर तो , अगले चौक जाता हूँ !

महज़ घर गाँव का  छोड़ा , यहाँ पे ये सजा पायी ,
वहाँ साइकिल चलाता था , यहाँ रिक्शा चलाता हूँ !

शहर की गली सड़को ने , मुझे जबरन बड़ा किया ,
मैं घर में माँ के संग, मासूमियत में , लौट आता हूँ !

मुझे  उल्लु  कभी  ईनाम  क्यों , देंगे भला  बोलो ?
जहां  भी  दिखता अंधेरा , वहीं  दीपक जलाता हूँ !

न मीठी बात है , न लोरियां , न किस्से परियों के ,
कहीं तुम सो न जाओ, इसलिए ग़ज़लें सुनाता हूँ !

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