रविवार, 29 अप्रैल 2012

कोई मर्म तो समझे hey eshwar-3{tanu thadani} हे ईश्वर -3 {तनु थदानी }





तमाम  उम्र   मैं  रिश्तों  की  , कसौटी  पे  कसा  हूँ !
मेरी  खुशियाँ   गई  कतरा , मैं  गोया  एक  नशा हूँ !


मैं सांझा  कर  रहा जज्बात ,कोई  मर्म  तो  समझे ,
बड़ी  ही  मार्मिक पड़ताल  की ,गलियों  में  फंसा  हूँ !


मुझे  ईश्वर  ने  भेजा ,खोल  के  दिल ,ये  जहां  जिऊ ,
मगर  मैं   नागफनियों से  भरे ,इक  घर में  बसा हूँ !


तुम्हारी  चीज़  हे  ईश्वर, जो  ली  वापस  हमीं  से  तो,
सभी  रोये  दिनों  तक थें ,मगर इक मैं  ही हँसा  हूँ !


तुम्हारे  खेल  के कायदे -नियम ,सब  जान  हे ईश्वर , 
यहाँ न  जीत  है ना हार  है , फिर  भी  क्यूँ  फंसा हूँ ?

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