मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

हालात को तो हू ब हू, लिखना भी चाहिये

हालात को तो हू ब हू, लिखना भी चाहिये !
मगर ये तो न लिखते, तुम्हे, बिकना भी चाहिये !

तुम्हारी बातें अदायें वो हंसी, सब कबूल हैं,
मगर जैसे हो, वैसा ही तुम्हे, दिखना भी चाहिये!

दिल में जमा किये कबाड़, पत्थरों से, क्यों,
अब रो रहे चेहरा तुम्हे, चिकना भी चाहिये!

व्यापार करते करते बने, तुम हो लिजलिजे,
रिश्ते बचे सो अब तुम्हे, सिकना भी चाहिये!

हो दूर भले पर, सलाह, भाईयों की पर,
जरुरी  हो कि,न हो तुम्हे, टिकना भी चाहिये!
---------------------------------  तनु थदानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें