नहीं हैरान हूँ जो, जेब कटती,किस्तों में !
बड़े आराम से, औकात फटती, किस्तों में !
हमारे पास तो,खोने के लिये, कुछ भी नहीं,
सिवाय उम्र के जो , रोज घटती, किस्तों में !
गमों को यूँ, नजर अंदाज किये, बैठे हैं,
खुशी की आड़ ले,मुस्कान बंटती, किस्तों में !
हमारे हक से भी, मिलने को, हम तरसे,
और हस्ती हकों की,जाती हटती, किस्तों में !
मुआं इश्क़ भी बे शर्म है, छिपता ही नहीं,
भले तासीर है, वफा की पटती, किस्तों में!
बिना नाड़े के पैजामें में हैं, विपक्षी सभी
जिनकी नाकामियां, संविधान रटती,किस्तों में !
------------------------- तनु थदानी
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