लिख के जो रोया मैं
जो इश्क़ को जिस्म का, चस्का चटा गया,
वो इश्क़ की तासीर से , खुश्बू हटा गया !
जो इश्क़ है तुम्ही से, कभी कह नहीं पाया,
रोई तुम्हारी आँखें, मैं छटपटा गया !
जब भी लड़े खाई खुदी, पर जब भी मैं रोया,
मैं हूँ ना कह के भाई वो , खाई पटा गया !
आँखों में आँसू, लब पे हँसी ,सब जुगाड़ था,
लिख के जो रोया मैं, वो पढ़ के मुस्कुरा गया !
------------------------------ तनु थदानी
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