शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

लिख के जो रोया मैं

लिख के जो  रोया मैं

जो इश्क़ को जिस्म का, चस्का चटा गया, 
वो इश्क़ की तासीर से , खुश्बू हटा गया !

जो इश्क़ है तुम्ही से, कभी कह नहीं पाया, 
रोई तुम्हारी आँखें, मैं छटपटा गया ! 

जब भी लड़े खाई खुदी, पर जब भी मैं रोया, 
मैं हूँ ना कह के भाई वो , खाई पटा  गया ! 

आँखों में आँसू,  लब पे हँसी ,सब जुगाड़ था, 
लिख के जो  रोया मैं, वो पढ़ के मुस्कुरा गया  ! 
------------------------------ तनु थदानी

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