दिल से अमीरी को,किसी ने भी नहीं माना!
बस माह की तन्ख्वाह,तरक्की का पैमाना!
शहर में तब्दील होते , गाँव से पूछो,
होता है क्या रूह से, बर्बाद हो जाना!
चाकरी, ट्रैफ़िक, वही पिंजरेनुमा सा फ्लैट,
ये शहर में होता है , आबाद हो जाना!
हम ये नहीं कहते की तुम, ऐसे नहीं जीओ,
हम बूढ़ों को लेकिन,वृद्धाश्रम न पहुँचाना!
------------------------------ तनु थदानी
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