शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

शहर में तब्दील होते गाँव से पूछो

दिल से अमीरी को,किसी ने भी नहीं माना! 
बस माह की तन्ख्वाह,तरक्की का पैमाना! 

शहर में तब्दील होते , गाँव से पूछो, 
होता है क्या रूह से, बर्बाद हो जाना! 

चाकरी, ट्रैफ़िक, वही पिंजरेनुमा सा फ्लैट, 
ये शहर में होता है , आबाद हो जाना! 

हम ये नहीं कहते की तुम, ऐसे नहीं जीओ, 
हम बूढ़ों को लेकिन,वृद्धाश्रम न पहुँचाना! 
------------------------------  तनु थदानी

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