मेरे सादे से जीवन में, तुम रंग बन के घुल जाओ !
सभी के हाथ, सभी खुशियाँ, कभी आती नहीं समझो,
अगर समझा नहीं इसको, तो क्या समझा, ये समझाओ!
चढना भी जरूरी है, उड़ना भी जरूरी है,
अगर जीना जरूरी हो तो, अपने घर भी आ जाओ !
रखो न खुशियाँ जेबों में, जो कट जाती हैं अक्सर,
बेहतर ये ही होगा,खुशियाँ, चेहरे पे ही लगा लो !
क्यों हम साम दाम दंड भेद सीख जीते हैं ?
ज्यादा ग॔र मुसीबत हो, जरा सा मौन अपना लो !
----------------------------------- तनु थदानी
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