तुम हो वही जो थे, महज़ नकाब न रही!
उस पार्टी ने लूटा तुम्हें, अब दो हमें मौका,
नेता हमारे देश में, जो बोले वो सही !
पैसे हो गंर जेब में, पिस्टल के साथ में,
जरूरत नहीं दिखाने की, न खाता न बही !
बेहद संगीन जुर्म कि मैं, सच के साथ हूँ,
इस जुर्म के कारण मेरी, इज्जत नहीं रही !
--------------------------- तनु थदानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें