रविवार, 6 मई 2012

बुद्धू हूँ मैं बुद्धू

फकत था  दोष   इतना   ही ,.सरे  बाज़ार  पिट  आया !
लगा  अजान मंदिर में,भजन  मस्जिद में क्यूँ  गाया ?

जो  मैने   ये   कहा   अल्लाह  का , अनुवाद   है  ईश्वर,   
किसी   को  मेरी  भाषा  का ,गणित ये  छू   नहीं  पाया !

इबादत तुम  इसे  समझो  , या  समझो  मेरी  नादानी ,
बहुत  थी  भीड़  मंदिर  में , सो  बच्चे  पार्क   में  लाया !

तमाम   किस्म  के  थे  फूल  , उस  प्यारे  बगीचे  में ,
तमाम  फूल  में  ही  बच्चो को , भगवान्  दिखलाया !

सभी  बच्चों  ने  आखिर  ये  कहा , बुद्धू   हूँ  मैं   बुद्धू ,
किसी  भी क्लास में उनको नहीं ,ये तो था बतलाया !
-------------------------------------- तनु थदानी

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