बुधवार, 26 मार्च 2025

गांठ अगर दिल में पड़ जाये

गांठ अगर दिल में पड़ जाये, गांठ को खोलो धीरे धीरे!
कोलाहल थम जाने दो फिर, बात तुम बोलो धीरे धीरे!

दिल की धड़कन मस्त प्रकृति,प्यार दिया,परिवार दिया,
ईश्वर तुमको सब कुछ देगा, सब कुछ ही लो धीरे धीरे!

धर्मों के कीचड़ से ले कर, नफरत के जहरीले नाले,
तुम छींटो की जद में खुद हो,घोला यहाँ जो धीरे धीरे!

सदियों से जो हिन्दू मुस्लिम,बने हैं हम, जनम से लेकिन,
नयी सदी में नये बनो ओं ,  इंसा हो लो धीरे धीरे !
----------------------------------  तनु थदानी



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