सोमवार, 10 जुलाई 2023

tanu thadani यही सच है hey eshwar -3 तनु थदानी yahi sach hai हे ईश्वर -3

कहीं विश्वास है बिकता , कहीं  इज्ज़त भी बिकती  है !
हमारी  ये  सदी  तो  पूरा  , इक  बाज़ार   दिखती   है !

कहीं  जो  आग  लग  जाये , हमारे  दिल  झुलसते  हैं ,
उसी  पे   देख   मेरे  रहनुमा  की ,  रोटी   सिंकती   है !

यही  सच  है  तरलता  खो  गई , है   भावनाओं   की ,
सभी कुछ  हो गयें पत्थर ,कोई  खुशबू  न  टिकती  है !

यहाँ  सब  ठीक   है  बेटा , नहीं   चिंता  कोई   करना ,
नहीं माँ आजकल की , आजकल  चिट्ठी  में लिखती है !
------------- तनु थदानी



अंततः हे राम !

इंसान का जीवन, इंसान की नियति, इंसान फिर तमाम!
मिट्टी के खिलौने, मिट्टी का घरौंदा, फिर मिट्टी में विश्राम!

ओढ़ के रुआब, जागते ले ख्वाब, ख्वाहिश बेहिसाब, 
बेवजह ठसक, बेवजह कसक, अंततः हे राम !

दौड़ के लूटा, लुटा इस दौर में, हम सब हैं लुटेरे, 
दौलत भी की जमा, फिर इश्क भी जमा,पर खो गया आराम !

इतनी थी फुटानी, इतने थे हम ज्ञानी,इतना ही था रुतबा, 
इधर गिरा चरित्र, छूट गये मित्र,तो हो गये बे- दाम !
-----------------------------     तनु थदानी